बांग्लादेश इस समय सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में है, जहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय निरंतर हमलों का शिकार हो रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस ओर आकर्षित हो रहा है। अमेरिका में इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है, और राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार पर बांग्लादेश के मामलों में निष्क्रियता का आरोप लगाया जा रहा है। वहीं, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी के साथ एक नई दिशा और नीतिगत बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) के पूर्व कमिश्नर जॉनी मूर ने बाइडेन सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने बांग्लादेश पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। उन्होंने इसे न सिर्फ अल्पसंख्यकों बल्कि पूरे बांग्लादेश के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा बताया। मूर ने कहा कि अब ट्रंप के नेतृत्व में एक नई टीम आने वाली है, जो अमेरिकी मूल्यों को प्राथमिकता देती है तथा भारत को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में देखती है। उन्होंने कहा, "मौजूदा अमेरिकी प्रशासन का ध्यान बांग्लादेश की ओर नहीं है। मगर ट्रंप प्रशासन की वापसी के साथ विदेश नीति में नई ऊर्जा और स्पष्टता आएगी। ट्रंप की टीम, जो धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को प्राथमिकता देती है, एक बेहतर भविष्य के लिए काम करेगी।" वही यह बयान ऐसे वक़्त में आया है, जब बांग्लादेश में हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले निरंतर बढ़ रहे हैं। 25 नवंबर को हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। इस घटनाक्रम पर भारत सरकार ने भी प्रतिक्रिया दी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने चिन्मय दास की गिरफ्तारी तथा जमानत न मिलने पर गहरी चिंता जताई। बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदू समुदाय को निशाना बनाने की घटनाएं, जैसे घरों और व्यवसायों में आगजनी, लूटपाट, तोड़फोड़, और मंदिरों को अपवित्र करना, निरंतर सामने आ रही हैं। वही जब जॉनी मूर से पूछा गया कि ट्रंप प्रशासन बाइडेन सरकार से कैसे अलग होगा, तो उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी कोई चुनौती नहीं है, जिसे हल नहीं किया जा सकता। उन्होंने ट्रंप के पहले कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उस वक़्त धार्मिक स्वतंत्रता अमेरिकी विदेश नीति का मुख्य केंद्र थी। मूर ने भरोसा दिलाया कि ट्रंप की वापसी के साथ भारत एवं अमेरिका के बीच पहले से कहीं मजबूत सहयोग देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा, "दुनिया भर में इस वक़्त 50 से ज्यादा युद्ध चल रहे हैं। किन्तु ट्रंप प्रशासन की मजबूत विदेश नीति इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।" बांग्लादेश की बिगड़ती स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। अब यह देखना होगा कि अमेरिका एवं अन्य शक्तियां इस संकट से निपटने में क्या कदम उठाती हैं। इंदौर में उद्योगपति की बहू को किया डिजिटल अरेस्ट, 1.60 करोड़ की हुई ठगी CM पद पर अजित पवार का बड़ा बयान, क्या महाराष्ट्र में फिर छिड़ेगा सियासी घमासान? बाइक पर बैठकर शादी में जा रहे थे देवर-भाभी, अचानक पिकअप ने मारी टक्कर और..