'16 दिन की बच्ची तक को नहीं छोड़ा..', जब जिन्दा जला दिए गए थे 59 कारसेवक.. अमित शाह ने सुनाया किस्सा

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2002 के गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। अमित शाह ने अपने और भाजपा के खिलाफ तमाम बातों को विरोधी पार्टियों के साथ मीडिया का प्रोपोगेंडा बताया। इसी के साथ उन्होंने गोधरा में जलाए गए कारसेवकों पर कांग्रेस की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने जाकिया जाफ़री को तीस्ता सीतलवाड़ के इशारे पर काम करने वाला करार दिया।

अमित शाह ने कहा कि, 'गुजरात में दंगा होने का मूल कारण गोधरा में ट्रेन को जला देना था। 16 दिन की बच्ची, जो अपनी माँ की गोद में थी, उसे भी जला डाला गया। मैंने गोधरा में अपने हाथों से उन लोगों का अग्नि-संस्कार किया है। उस ट्रेन में जले लोगों का अंतिम संस्कार अपनी आँखों से देखा है। उनके शवों को एम्बुलेंस से लाया गया। इस घटना से लोगों में दुःख और आक्रोश था। गोधरा में ट्रेन में जले लोगों के शवों की परेड निकाली गई, टाइप की बातें साजिश का हिस्सा हैं। गोधरा में ट्रेन को जला देने की वजह से ही दंगे हुए थे। उसके बाद के तमाम दंगे सियासी साजिश से हुए। गुजरात दंगों का कोई आधिकारिक इनपुट भी नहीं था। उस वक़्त के जिम्मेदार लोगों ने अच्छा काम किया था।'

गृह मंत्री ने आगे कहा कि, 'हमने झूठ के सामने लड़ाई लड़ी, क्योंकि इतिहास कई हजार वर्षों तक जीवित रहता है। हमने GST, सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कई लड़ाइयाँ लड़ी हैं। मेरी पार्टी के सर्वोच्च नेता को बदनाम करने की साजिशें की गई। मगर उनकी हार हुई। ये PM मोदी के लिए आत्मसंतोष का विषय हो सकता है, मगर पार्टी के बाकी कार्यकर्ताओं के लिए ये आत्मगौरव की बात है।'

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