अंग्रेज चले गए Happy Birthday यही छोड़ गए- अमिताभ बच्चन

बॉलीवुड के शहंशाह कहलाने वाले दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन हर दिन जीवन में एक नई सीख देने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट करते ही रहते हैं. लेकिन इस बार महानायक ने हिन्दुस्तानियों को हिंदुस्तानी की तरह रहने के बारे में सीख दी है. अमिताभ बच्चन ने इस बार जो ट्वीट किया है उसमे उन्होंने भारत में चल रही अंग्रेजों की प्रथाओं को लेकर नाराजगी जताई हैं. उन्होंने कहा कि, जन्मदिन पर केक काटना और मोमबत्ती बुझाना हमारी सभ्यता नहीं है.

अमिताभ ने अपने ट्वीट में लिखा है कि- अंग्रेज़ Happy Birthday की प्रथा छोड़ गए और हम अभी भी उसके ग़ुलाम हैं ! ये cake क्यूँ ? ये candle क्यूँ ? ये फूँक कर बुझाना क्यूँ ? हमारी सभ्यता में दीप प्रज्वलित करते हैं ; ये उसे फूँक कर बुझाने को कहते हैं ! और ये गाना क्यूँ ! ये गाइए : वर्ष नव, हर्ष नव....

इस ट्वीट के जरिए उन्होंने ये बताने की कोशिश की है कि बर्थडे सेलिब्रेशन की प्रथा अंग्रेजों की प्रथा है जो वो हमारे देश में छोड़ गए लेकिन अब भी हम सभी गुलामों की तरह ही इस प्रथा का पालन कर रहे है. मोमबत्ती को जलाकर बुझाना हमारे देश की सभ्यता नहीं है बल्कि हमारे देश में तो दीपों को जलाया जाता है ना कि उसे उसे फूंककर बुझाया जाता है.

इसके साथ ही बिग बी ने भारत की जनता से ये भी सवाल किया है कि, जन्मदिन पर Happy Birthday गाना क्यों गाया जाता है? अगर जन्मदिन पर कुछ गाना ही है तो 'हम वर्ष नव, हर्ष नव' जैसे गीत क्यों नहीं गाते है. इस ट्वीट के जरिए अमिताभ बच्चन ने बताया है कि, 'वर्ष नव, हर्ष नव' गीत उनके पिता और मशहूर कवि हरिवंशराय बच्चन ने लिखा है. अमिताभ बच्चन के परिवार में हर व्यक्ति के जन्मदिन पर ये ही गीत गाया जाता है.

अमिताभ बच्चन के इस ट्वीट पर उनके फैंस की प्रतिक्रियाए भी सामने आ रही है जिसमे कुछ लोगों को बिग बी की ये राय सही भी लग रही है. अब देखना तो ये है कि अमिताभ बच्चन के इस ट्वीट से देशवासियों पर कुछ प्रभाव पड़ता है या नहीं.

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