आज है आंवला नवमी, जरूर पढ़े या सुने यह कथा

हर साल मनाई जाने वाली आंवला नवमी आज है। हिंदू पंचांग को माने तो आंवला नवमी का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन होता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और खाने से आरोग्य का वरदान मिलता है। इसके अलावा व्यक्ति के सभी पापों का नाश भी हो जाता है।

कहा जाता है इस दिन पूजा, जप, दान, सेवा और भक्ति जैसे शुभ कार्य करने चाहिए क्योंकि इससे कई जन्मों तक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। कहा जाता है आंवले के वृक्ष की पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु खुश हो जाते हैं और खुश होकर वह आरोग्य, सुख-समृद्धि और खुशहाली का वरदान देते हैं। अब हम आपको बताते हैं आंवला नवमी की कथा जिसे आज के दिन अवश्य पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे बड़े लाभ होते हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

आंवला नवमी की कथा - पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं और धरती पर आने के बाद उन्हें भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई, फिर मां लक्ष्मी को याद आया कि भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी और भगवान शिव के प्रिय बेल के गुण आंवले में पाए जाते हैं। इसके बाद मां लक्ष्मी ने भगवान शिव और विष्णु की एक साथ पूजा करने के लिए आंवले के वृक्ष की पूजा की। मां लक्ष्मी के पूजन से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव साक्षात प्रकट हुए। पूजन के बाद मां लक्ष्मी ने वृक्ष के नीचे भोजन बनाया और श्रीहरि व शिवजी को भोजन कराया, फिर स्वयं भोजन किया। तब से आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाने लगी।

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