आज इस विधि से करें आंवला नवमी का पूजन

आप सभी जानते ही होंगे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को आंवला नवमी होती है जो आज है। आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा होती है। इस दिन पूजा करने से घर में सुख समृद्धि होती है और निरोग काया मिलती है। कहते हैं कि माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ की पूजा और उसी के बाद से इसके नीचे पूजा करने का विधान शुरू हो गया। उनके पूजन करने के बाद से ही आंवला नवमी मनाई जाने लगी। कहते हैं इस दिन धार्मिक मान्यता है कि आंवला के वृक्ष की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। अब आइए हम आपको बताते हैं इसकी पूजा विधि।

आंवला नवमी की पूजा विधि- सबसे पहले प्रात: स्नान करने के बाद पूरे विधि-विधान के साथ आंवले के पेड़ की पूजा करें। आंवले पर जल-दूध चढ़ाने के बाद सिंदूर, हल्दी-चावल, फूल आदि अर्पित करें। अब वृक्ष की परिक्रमा करें। इस दौरान वृक्ष के चारों और मनोकामना पूर्ति के लिए कच्चा धागा बाँध दें। अगर आपको कहीं आवलें का पेड़ न मिले तो घर में ही आंवले के पौधे को लेकर, खरीदकर पूजा कर लें। ध्यान रहे घर में बने विभिन्न प्रसादों का भोग भी पेड़ को लगाएं और आंवला पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें। अब पेड़ के नीचे बैठकर कुछ देर तक भगवान विष्णु का ध्यान करें और पेड़ को प्रणाम करें।

आप इसके बाद आवंला नवमी की कथा सुने। अब परिवार सहित आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करें। कहते हैं नवमी पूजन से पहले और बाद में आंवला वृक्ष के नीचे साफ-सफाई करना शुभ होता है। कहते हैं आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले की वृक्ष की पूजा की। उनके पूजा को देखकर विष्णु और शिव भगवान खुश हुए थे और दोनों वहां प्रकट हो गए थे। उस दौरान लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया और फिर स्वयं भोजन किया था। उनके यह सब करने के बाद से ही यह परंपरा चली आ रही है।

आज है आंवला नवमी, जरूर पढ़े या सुने यह कथा

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