नई दिल्ली : राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. ममता ने इस मुद्दे पर गेंद सरकार के पाले में फेंकने की कोशिश करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के नाम पर आम सहमति के लिए मोदी सरकार को विपक्ष से बात करनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष एकजुट होने की कोशिश कर रहा है लेकिन सफलता दिखाई नहीं दे रही है. नीतीश कुमार सर्वसम्मति से प्रणब को ही दूसरा कार्यकाल देने की बात पहले ही कर चुके हैं. लेकिन कांग्रेस खुद अब तक प्रणब के नाम पर खुलकर बोलने से बचना चाहती है.क्योंकि प्रणब मुखर्जी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की सहमति से ही दूसरा कार्यकाल ले सकते हैं, चुनाव लड़कर नहीं. इसीलिए कांग्रेस उन पर अपना उम्मीदवार होने का ठप्पा नहीं लगाना चाहती. माना जा रहा है कि विपक्ष का यह पहला सियासी दांव गैरकांग्रेसी दलों के जरिए प्रणब मुखर्जी का नाम उछालकर मोदी सरकार पर दबाव बनाने का है, अन्यथा प्रणब को फिर कमान मिल जाये इससे ज्यादा बेहतर उसके लिए कुछ नहीं है, क्योंकि कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी अपनी पसंद के उम्मीदवार को ही रायसीना हिल पहुँचाना चाहती है और अगर विपक्ष उसके उम्मीदवार का समर्थन ना भी करे तो भी वो आसानी से अपना राष्ट्रपति बना सकती है.इसलिए कांग्रेस हिचक रही है. इस मामले में एक पहलू यह भी है कि विपक्ष को इस बात का भी एहसास है कि प्रणब कांग्रेस के सक्रिय नेता रहे हैं, जबकि कलाम साहब तो किसी दल से नहीं जुड़े थे. वे भी सत्ता पक्ष और विपक्ष की सहमति से प्रणब की तरह दोबारा कार्यकाल लेने को तैयार थे, चुनाव लड़कर नहीं. लेकिन उस समय यूपीए ने बात नहीं मानी और प्रतिभा पाटिल को मैदान में उतारा था. विपक्षी उम्मीदवार भैरों सिंह शेखावत को हराकर प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति बनीं थीं. तब शिवसेना ने एनडीए की बजाय यूपीए उम्मीदवार को वोट दिया था,ठीक वैसे ही आज सत्ता पलट चुकी है तो राजनीतिक हालात भी बदलना भी स्वाभाविक है. यह भी देखें विपक्ष ने तय किए राष्ट्रपति पद के ये उम्मीदवार ! उग्रवाद के विरोध में होने वाली बैठक में शामिल नहीं होंगी CM ममता बनर्जी