जवारलाल नेहरू के नाती और इंदिरा गाँधी के पुत्र राजीव गाँधी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे. 1984 में इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद जनता ने भरी बहुमत देकर राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया था. राजीव गांधी की राजनीति में कोई रूचि नहीं थी और वो एक एयरलाइन पाइलट की नौकरी करते थे, आपातकाल के उपरान्त जब इन्दिरा गांधी को सत्ता छोड़नी पड़ी थी, तब कुछ समय के लिए राजीव परिवार के साथ विदेश में रहने चले गए थे, परंतु 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद माता इन्दिरा को सहयोग देने के लिए सन् 1982 में राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश लिया. वो अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने और 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की मृत्यु होने के बाद 40 वर्ष की उम्र में भारत के सबसे युवा पीएम बने थे. प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने भारतीय प्रशासन के आधुनिकीकरण में बहुमूल्य योगदान दिया, 21वीं सदी में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए उन्होंने इस क्षेत्र में भारत की क्षमता विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य किया. राजीव ने इनकम और कॉर्पोरेट टैक्स घटाया, लाइसेंस सिस्टम सरल किया और कंप्यूटर, ड्रग और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों से सरकारी नियंत्रण खत्म किया. साथ ही कस्टम ड्यूटी भी घटाई और निवेशकों को बढ़ावा दिया. बंद अर्थव्यवस्था को बाहरी दुनिया की खुली हवा महसूस करवाने का यह पहला मौका था. सिक्के वाले फोन जो मोबाइल से चलते अब अतीत में बदल चुके हैं. राजीव को अगले दशक में होने वाली तकनीक क्रांति के बीज बोने का श्रेय भी जाता है. उनकी सरकार ने पूरी तरह असेंबल किए हुए मदरबोर्ड और प्रोसेसर लाने की अनुमति दी. इसकी वजह से कंप्यूटर सस्ते हुए. ऐसे ही सुधारों से नारायण मूर्ति और अजीम प्रेमजी जैसे लोगों को विश्वस्तरीय आईटी कंपनियां खोलने की प्रेरणा मिली. उन्होंने मतदान के लिए उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 साल करने का साहसिक फैसला भी लिया, जिसका कुछ विरोध भी हुआ, लेकिन इससे 5 करोड़ युवा मतदाता बढ़ गए. 21 मई 1991 को तमिल आतंकवादियों द्वारा किए गए एक आत्मघाती बम धमाके में उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि, इस हत्या पर रहस्य अभी भी बरक़रार है. जमशेदजी टाटा को पुण्यतिथि पर नमन