राष्ट्रिय पत्रकारिता दिवस प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाता है. 1920 के दशक के दौरान, लेखक वाल्टर लिपमैन और एक अमेरिकी दार्शनिक जॉन डेवी, नें एक लोकतांत्रिक समाज में पत्रकारिता की भूमिका पर अपने विचारों को प्रकाशित किया था. यह वह समय था जब आधुनिक पत्रकारिता आकर ले रही थी, लेकिन आज जब ये पूर्णतः विकसित हो चुका है, ऐसे में इसका कार्यभार और भी बढ़ जाता है. children's day 2018 : देश भर की हस्तियों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को इस तरह दी श्रंद्धांजलि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा खम्बा कहा जाता है, जो की देश में सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए अपना बहुमुखी योगदान देते हैं. लेकिन अगर वर्तमान परिपेक्ष्य की बात करें तो पत्रकारिता दिनों-दिन गिरते हुए, इतने निम्न स्तर पर आ चुकी है कि पत्रकारिता को चाटुकारिता कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा. पत्रकारिता वर्तमान में जनता को जागरूक करने की जगह गुमराह करने का कार्य कर रही है. जनता को उनके अधिकारों के बारे में अवगत करने की जगह आज पत्रकारिता कुछ चुनिंदे रसूखदार लोगों का महिमामंडन करने में लगी हुई है. children's day 2018 : देश भर की हस्तियों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को इस तरह दी श्रंद्धांजलि जिसका नतीजा देश के विकास पर साफ तौर पर देखा जा रहा है, जो सामग्री पत्रकारों को जनता के सामने रखनी चाहिए, उसे वे ढांप लेते हैं और समाज को बांटने वाली चीज़ें जैसे जात-पांत, ऊंच-नीच, स्त्री-पुरुष, जैसे मुद्दों को लेकर बहस जनता के सामने पेश करते हैं, जिससे समाज में नकारात्मकता और जोरों से फ़ैल रही है. खैर भारत के लोग आशावादी हैं, वे उम्मीद कर रहे हैं कि कहीं किसी कोने से एक बार फिर सच्ची पत्रकारिता की लौ प्रज्वलित होगी और दहकते पावक की तरह चाटुकारिता को पूरी तरह से जलाकर रख कर देगी. ये भी पढ़ें :- जवाहरलाल नेहरू की महत्वाकांक्षा की सजा आज भी भुगत रहा है देश देश के प्रथम प्रधानमंत्री के बारे में आप नहीं जानते होंगे ये 5 बातें राजस्थान के नवोदय विद्यालय में 100 से अधिक बच्चे हुए फूड पॉइजनिंग का शिकार