वरिष्ठ डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर आनंद पटवर्धन की फिल्म 'राम के नाम' पिछले कुछ दिनों से विवाद में चल रही है. साल 1992 में रिलीज़ हुई फिल्म 'राम के नाम' तमाम जद्दोजहद बाद रिलीज हो सकी थी और इस फिल्म को हाल ही में प्रेसीडेंट कॉलेज में स्क्रीन किया गया था. लेकिन इस यूनिवर्सिटी के डीन द्वारा इस फिल्म को पॉलिटिकल रूप से काफी विवादित बताया गया था और इसे कॉलेज में स्क्रीन करने से मना भी कर दिया था, हालांकि स्टूडेंट्स द्वारा आखिरी पल में फिल्म का वेन्यू बदल दिया था और फिल्म की स्क्रीनिंग कराने में कामयाबी मिली थी. पीयू के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के छात्र सयन द्वारा बताया गया है कि कॉलेज के प्रशासन द्वारा पहले पावर सप्लाई को काट दिया था, हालांकि हमने आखिरी लम्हे में इस फिल्म को बैडमिंटन कोर्ट में स्क्रीन कराया जिसमें 150 लोग शामिल थे. वहीं इससे पहले हैदाराबाद यूनिवर्सिटी में छह छात्रों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया था क्योंकि वे बिना परमिशन के इस डॉक्यूमेंट्री को स्क्रीन कराने की कोशिश में थे. लेकिन जादवपुर यूनिवर्सिटी में फिल्म स्टडी़ज डिपार्टमेंट के छात्रों ने प्रशासन के दखलअंदाज के बगैर इस फिल्म को स्क्रीन कराया था लेकिन इन सभी लोकेशन्स पर एबीवीपी द्वारा विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं और कई जगहों पर हिंसा की खबरें भी सामने आती रही है. बता दें कि इन विवादों के बाद स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की सेंट्रल एक्जक्यूटिव कमिटी द्वारा अपने सभी यूनिट्स से कहा गया है कि वे इस फिल्म की स्क्रीनिंग का इंतजाम कराएं. वहीं विवादित डॉक्यूमेंट्री में विश्व हिंदू परिषद के कैंपेन की कहानी को दर्शाया गया है जो कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने के बाद राम मंदिर को बनाना चाहती है और ये फिल्म इस घटना के बाद देश में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर भी बखूबी प्रकाश डालने का काम करती है. 'छिछोरे' के निर्देशक बोले, '30 साल के मेरे करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है..' VIDEO : एक्सरसाइज कर रहीं थीं माँ करीना, टकटकी लगाए देखता रहा तैमूर VIDEO : कार्तिक आर्यन ने लगाई अनन्या को डांट, कहा- एलर्जी है तो फिर...' धर्मेंद्र खींच रहे थे बिना तौलिए की फोटो, सनी देओल ने गिड़गिड़ाते हुए कहा कुछ ऐसा