सनातन धर्म में भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का काफी महत्व होता है। जी दरअसल इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा के साथ-साथ श्रीगणेश जी का विसर्जन भी किया जाता है। कहा जाता है इस पर्व को अनंत चतुर्दशी या अनंत चौदस के नाम से जाना जाता है। आपको पता हो अनंत का अर्थ है जिसके न आदि का पता है और न ही अंत का यानी वह स्वयं श्री नारायण ही हैं। अनंत चतुर्दशी का महत्व- जी दरअसल यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखकर एवं उनकी पूजा करके अनंतसूत्र बांधने से समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है। कौन हैं अनंत भगवान- शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की शुरुआत में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी एवं इन लोकों की रक्षा और पालन के लिए भगवान विष्णु स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हो गए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इस वजह से अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की जाती है। कहते हैं इससे सभी काम सिद्ध होते हैं। अनंत चतुर्दशी का शुभमुहूर्त चतुर्दशी तिथि प्रारंभ : 8 सितंबर 2022,गुरुवार, सायं 4:30 बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त: 9 सितंबर 2022, शुक्रवार,दोपहर 1:30 पर अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त- 9 सितंबर 2022, शुक्रवार, प्रातः 6:30 बजे से 1:30 बजे तक आज बप्पा को भोग में लगाए काजू मोदक गणेश विसर्जन में शामिल हुए रणबीर कपूर, माँ संग की आरती जानिए क्यों बप्पा को लेना पड़ा था 'धूम्रवर्ण' अवतार?