घर की इस दिशा में होता है पितरों का वास, जरूर अपनाएं ये एक उपाय

पितृपक्ष, जिसे श्राद्धपक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो प्रतिवर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ होता है और अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में, श्रद्धालु अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पितरों का श्राद्ध और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और इसके फलस्वरूप हमारे जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।

ज्योतिष और वास्तु का दृष्टिकोण ज्योतिषविदों का मानना है कि हर घर में एक विशेष दिशा होती है, जहां पितरों का निवास होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा पितरों का स्थायी निवास स्थल है। इस दिशा का सम्मान करना और इसमें विशेष धार्मिक कार्य करना, पितरों की कृपा को आकर्षित करता है।

प्रणाम और दीप जलाने का महत्व श्राद्धपक्ष के दौरान, दक्षिण दिशा में प्रतिदिन खड़े होकर प्रणाम करना बहुत शुभ माना जाता है। यह श्रद्धा का प्रतीक है और इससे पितरों को सम्मान मिलता है। इसके अलावा, इस दिशा में चौमुखी दीपक जलाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। चौमुखी दीपक जलाने से न केवल पितृदोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है।

विशेष उपाय पीपल के पेड़ के नीचे दीपक: पितृपक्ष में शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे काली तिल डालकर सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। यह विशेष उपाय पितरों को प्रसन्न करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

मुख्य द्वार पर दीपक: पितृपक्ष के 15 दिनों में, घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में सुख-शांति लाता है।

तुलसी के पास दीपक: आप अपने घर के आंगन में स्थित तुलसी के पौधे के पास भी दीपक प्रज्वलित कर सकते हैं। इससे न केवल पितरों का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद आपके साथ होता है, जो आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक हैं।

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