विशाखापत्तनम: मकर संक्रांती के अवसर पर आंध्र प्रदेश में बड़ा हादसा होते-होते जरा से बचा. यहां चित्तूर में जल्लीकट्टू के खेल में 15 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए हैं. हालाँकि, थोड़ी राहत ये रही कि किसी की जान नहीं गई. मकर संक्रांति के पर्व पर चित्तूर में जल्लीकट्टू का आयोजन किया गया था, जहां कई उत्साही लोग इस खेल में शामिल हुए. इस प्रकार की किसी भी अनहोनी से बचने के लिए जल्लीकट्टू और ट्रेडिश्नल कार्यक्रमों के आयोजकों को पुलिस ने चेतावनी भी दी थी. बता दें कि, रायलसीमा क्षेत्र के चित्तूर, कडप्पा, कुरनूल और अनंतपुर जिलों के ग्रामीण इलाकों में जल्लीकट्टू और मुर्गों की लड़ाई का आयोजन करके संक्रांति और कनुमा त्योहार बड़े स्तर पर मनाए जाते हैं. इस क्षेत्र के ऑर्गेनाइजर्स को पुलिस डिपार्टमेंट ने चेतावनी दी थी, कि वे ऐसे आयोजनों से दूर रहें जहां हादसों या दुर्घटनाओं की संभावना होती है. क्या है जल्लीकट्टू ? बता दें कि, जल्लीकट्टू जनवरी के बीच में पोंगल की फसल के वक़्त खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है. विजेता का फैसला इस बात से होता है कि एक टैमर बैल के कूबड़ पर वह कितनी देर तक टिका रह सकता है. खेल में खूंखार किस्म के बैल को इसमें भाग लेने वाले लोग उकसाते हैं और उसकी पीठ पर चढ़ने का प्रयास करते हैं और उनकी देर तक उस पर ठहरे रहने की कोशिश रहती है. यह खेल 4 दिवसीय फसल उत्सव के तीसरे दिन आरम्भ होता है और चौथे दिन समाप्त होता है. फसल कटाई का उत्सव यूँ तो पूरे भारत में मनाया जाता है, उत्तर-पूर्व और दक्षिणी राज्यों में बड़े पैमाने पर इसे प्रमुखता दी जाती है, किन्तु जल्लीकट्टू का खेल मुख्य रूप से दक्षिणी राज्यों में ही खेला जाता है, जहां प्रति वर्ष छिटपुट और बड़े हादसों की खबरें सामने आती है. Fact Check: जय श्री राम न कहने पर असीम को ट्रेन में बेल्ट से पीटा, दाढ़ी पकड़कर हिलाई 'लापरवाही के कारण हुई मेरे पिता की मौत..', संतोख सिंह के बेटे का दावा, भारत जोड़ो यात्रा में हुआ था निधन 'हमारी पार्टी में कांग्रेस जैसी गुटबाजी नहीं..', DAP की पहली बैठक में बोले गुलाम नबी आज़ाद