हमारे देश की रक्षा के लिए तो सीमा पर सैनिक तैनात किए गए हैं जो दुश्मनों के बॉर्डर पर ही छक्के छुड़ा देते हैं. लेकिन देश के अंदर भी कई ऐसे रियल लाइफ हीरोस हैं जो समाज को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो रहें हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक महिला के बारे में बता रहें हैं जिन्हें अगर रियल हीरो भी कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा. इनका नाम है अनीता शर्मा जो आईआईएम अमृतसर में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. 36 वर्षीय अनीता अमृतसर की बुजुर्ग और निःशक्त महिलाओं को कार ड्राइविंग सीखा रहीं हैं. हैरानी की बात तो ये है कि अनीता खुद भी दिव्यांग हैं बावजूद इसके वो समाज की ऐसी महिलाओं के लिए एक नई पहल कर रहीं हैं जो अपने हाथ या पैर से कोई काम करने में सक्षम नहीं है. अनीता निःशक्त और बुजुर्ग महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं और इसलिए वो अपने कार ड्राइविंग स्कूल 'ड्राइव ऑन माय ओन कार' में ऐसी ही महिलाओं को कार चलाना सीखा रहीं हैं. अनीता शर्मा जयपुर की रहने वाली हैं. अनीता जब 6 महीने की थीं तब से ही वो पोलियो बीमारी से ग्रसित हैं. अनीता ने अपनी बीमारी के बारे में बात करते हुए बताया था कि 'उन्होंने फीवर के दौरान पोलियो की दवाई पी ली थी और इस वजह से उनके शरीर में ये दवाई रिएक्शन कर गई थी.' अनीता के पैरों का 64 प्रतिशत हिस्सा पोलियो से ग्रसित है. अनीता किसी पर निर्भर नहीं होना चाहती थीं और इसलिए उन्होंने साल 2009 में ड्राइविंग करना सीखी ताकि वो कही भी अपनी मर्जी से आ-जा सकें. अनीता ने बताया कि उनके परिवारवालों ने हमेशा ही उनका साथ दिया है. अनीता ने जब से ड्राइविंग सीखी है इसके बाद उन्होंने कई लोगों को ड्राइविंग में ट्रेंड भी किया है. लेकिन अनीता अब इसे बड़े लेवल पर करना चाहती हैं. अनीता जिस सिस्टम के जरिए बुजुर्ग और दिव्यांग महिलाओं को गाड़ी चलाना सीखा रही हैं वो सिस्टम बहुत खास है. इस कार सिस्टम के तहत ड्राइवर अपने हाथों के जरिए ही कार को कण्ट्रोल कर सकता है. जी हाँ... ड्राइवर अपने हाथ से ही ब्रेक, क्लच और एक्सेलेटर को कंट्रोल कर सकता है. कार के स्टेरिंग के पास ही एक लीवर लगाया गया है जिसके जरिए कार को कंट्रोल किया जा सकता है. अनीता ने इस सिस्टम के बारे में और भी कई लोगों को जानकारी दी थी ताकि इसके जरिए कार चलाने के दौरान आने वाली परेशानियां कम हो सके. अनीता ने 20 से 30 जून तक आईआईएम अमृतसर में एक वर्कशॉप भी आयोजित की थी जिसमें उन्होंने महिलाओं को कार ड्राइव करना सिखाया था. हालांकि अनीता ऐसी कई वर्कशॉप आयोजित करती ही रहती हैं. वैसे अनीता की इस पहल के जरिए देश में कई बदलाव आ सकते है. अनीता ने दिव्यांग होने के बावजूद अपने इरादों को कमजोर नहीं होने दिया और आज वो अपने जैसे ही कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल कर रहीं हैं. ख़बरें और भी... पढ़ा लिखा मलिक दो दिन पहले ही बना था आतंकवादी हो गया ढेर छात्रों के लिए अब ट्रैन का सफर हुआ मुफ्त आंध्र प्रदेश : पत्थर खदान में विस्फोट हुई कई मौतें