'लोकतंत्र के सजग प्रहरी हैं अन्नामलाई..', मद्रास हाई कोर्ट ने क्यों की भाजपा नेता की तारीफ ?

चेन्नई: फर्जी कागज़ातों के सहारे पासपोर्ट जारी करने के मामले में मदुरै शहर के पूर्व पुलिस आयुक्त (COP) एस डेविडसन देवाशिरवथम (अब ADGP इंटेलिजेंस) को मद्रास उच्च न्यायालय ने क्लीन चिट दे दी है। इसके साथ ही, मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने बुधवार को इस घोटाले को उजागर करने के लिए तमिलनाडु भाजपा इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई की  प्रशंसा की है। जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने भाजपा नेता अन्नामलाई को लोकतंत्र का सजग प्रहरी बताया है।

अपने आदेश में न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने कहा है कि, 'मैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई को इस मुद्दे को उठाने के लिए बधाई देता हूँ। उन्होंने लोकतंत्र में एक चौकीदार की भूमिका निभाई है।' अदालत ने आगे कहा कि जज शून्य में नहीं रहते हैं और वे जमीनी वास्तविकता से अलग-थलग भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि, 'मैंने अखबारों में पढ़ा था कि राज्य भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया था।' बता दें कि, यह मामला भारतीय पासपोर्ट से जुड़ा हुआ है, जो कथित तौर पर श्रीलंकाई नागरिकों को जारी किया गया था, जिन्होंने पते और पहचान प्रमाण के तौर पर फर्जी डाक्यूमेंट्स जमा किए थे। इस घोटाले में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय और राज्य पुलिस के अफसर शामिल हैं।

याचिकाकर्ता के आवेदन को संशोधित करने से मना करने वाले पासपोर्ट प्राधिकरण के फैसले को चुनौती देने वाले एक मामले की सुनवाई करते हुए अदालत का ध्यान धोखाधड़ी से भारतीय पासपोर्ट हासिल करने के मामले में गया। उन्हें एक जनहित याचिका (PIL) के संबंध में सूचित किया गया था, जिसमें क्यू शाखा को तीन माह के अंदर इस मुद्दे की जाँच को खत्म करने के लिए कहा गया था, जिसे बाद में तीन माह तक के लिए बढ़ा दिया गया था। न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि, 'मुझे आश्चर्य है कि माननीय खंडपीठ के इस निर्देश का पालन नहीं किया गया। हालाँकि, इस आधार पर अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं हुई थी कि दोषी सरकारी कर्मचारियों पर केस चलाने के लिए अनुमति नहीं मिली थी।'

मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि, 'यह निंदनीय है कि मदुरै शहर का एक पुलिस स्टेशन धोखाधड़ी से 54 पासपोर्ट जारी करने में लिप्त पाया गया है। भ्रष्ट तत्वों को जल्द से जल्द अरेस्ट किया जाना चाहिए।' इस मामले में अपीलकर्ता की तरफ से वकील डी रमेशकुमार पेश हुए, जबकि प्रतिवादियों की ओर से वकील वी मलयेंद्रन और सरकारी वकील जी शिवराजा पेश हुए। इस मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सत्यापन प्रक्रिया में क्षेत्रीय जाँच पुलिस अधिकारी सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। रिश्वत का पैसा नोडल अधिकारी के पास पैसा रुक जाता था और मामले में उक्त रैंक से ऊपर के अफसरों की भागीदारी नहीं हो सकती है।

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