बजट में की गई घोषणाएं किसान संगठनों को रास नहीं आ रही है. किसानों के अनुसार एमएसपी का गलत आकलन किया गया है और नाराज किसान संगठनों ने सरकार को चेतावनी देते हुए सात फरवरी से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. किसान संगठनों का आरोप है की केंद्र सरकार ने किसानों को लुभाने कि साजिश कि है और बजट में कही गई बातें सिर्फ कागजी है. किसान संगठनों का कहना है कि - 1. सरकार का खेती की लागत तय करने का तरीका गलत है क्योंकि वह किसान यानी परिवार के मुखिया को छोड़ कर उसके परिवार को अकुशल मजदूर मानती है, जबकि किसान का पूरा परिवार खेती करता है. इसलिए पूरे परिवार को स्किल्ड यानी कुशल मजदूर माना जाए. 2. खेती की लागत तय करते वक्त जमीन का किराया भी जोड़ा जाए क्योंकि किसानों का एक बड़ा वर्ग खेत किराए पर ले कर खेती करता है. 3. सरकार किसानों को सब्सिडी के नाम पर कुछ रियायतें तो देती है लेकिन खेती की लागत तय करते समय सब्सिडी घटा देती है. किसान संगठन चाहते हैं की सरकार एमएसपी तय करते समय सब्सिडी को लागत से ना घटाए. भारतीय किसान यूनियन के सचिव डॉ सुदर्शन पाल ने कहा ' सरकार द्वारा तय की गई एमएसपी किसान की खेती की लागत का डेढ़ गुना तो दूर उसकी असली लागत भी नहीं दिला पाएगी. इसलिए एमएसपी का निर्धारण सही हो और उसके लिए अलग से कोई फंड का प्रावधान हो.' वही राष्ट्रीय खेत मजदूर संगठन के अध्यक्ष डॉक्टर सुनीलम के मुताबिक बीजेपी सरकार ने बजट में मार्केट सपोर्ट प्राइस यानी एमएसपी की बात तो जरूर की है लेकिन उसके लिए कोई भी बजट का प्रावधान नहीं किया है. सरकार एमएसपी की बात तो करती है लेकिन इस बात की गारंटी नहीं देती कि हर हाल में किसान की उपज खरीदी जाएगी. मजदूर संगठन मांग कर रहे हैं कि सरकार उपज ना खरीदने वाले एजेंटों पर नकेल कसे और उन पर जुर्माना हो. किसानों के नाम पर BJP नेताओं की मौज, 'किसान' बन करेंगे विदेश की सैर आत्महत्या के पहले इच्छामृत्यु के लिए पीएम को लिखा ख़त बजट 2018 पर किये गए 14 लाख ट्वीट