नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत, पाकिस्तानी उकसावे का सैन्य बल के साथ मुंहतोड़ जवाब दे सकता है। एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले की तुलना में अब इसकी अधिक संभावना है कि भारत पूरी ताकत के साथ पाकिस्तान को करारा जवाब दे। 2023 के एनुअल थ्रेट एसेसमेंट रिपोर्ट (Annual Threat Assessment Of US Intelligence Community) में कहा गया है कि पाकिस्तान का भारत विरोधी आतंकी संगठनों का समर्थन करने का एक लंबा इतिहास रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के सैन्य बल के साथ पहले की तुलना में जवाब देने की अधिक संभावना है। बता दें कि, जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान आए दिन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की फ़िराक़ में रहता है और भारत पर हाल ही में हुए आतंकी हमले ने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि हालिया घटनाक्रम विवादों का मुख्य कारण है। भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे समेत बॉर्डर पार से होने वाले आतंकी हमलों के कारण संबंध खराब रहे हैं। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 'दो परमाणु-सशस्त्र देशों के बीच बढ़ते जोखिम के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच संकट विशेष चिंता का विषय है। हालाँकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली और इस्लामाबाद संभावित रूप से 2021 की शुरुआत में नियंत्रण रेखा पर हुए संघर्षविराम के बाद शांति स्थापित करने के इच्छुक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां भारत और चीन द्विपक्षीय सीमा वार्ता में लगे हुए हैं और सीमा विवाद को सुलझा रहे हैं, वहीं 2020 में बॉर्डर पर हिंसात्मक झड़प के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी रहेगी, जो दशकों में सबसे गंभीर है। भारत और चीन के बीच बढ़ रहे सैन्य तनाव दोनों परमाणु संपन्न देश के बीच सैन्य टकराव की आशंका को बढ़ाते हैं। इंटेलिजेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अमेरिकी नागरिकों को भी इससे खतरा हो सकता है, और यही कारण है कि इसमें अमेरिकी हस्तक्षेप आवश्यक है। पिछले घटनाक्रमों की वजह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर छिटपुट टकराव निरंतर सामने आ सकते हैं। 'बिहारियों की लाशें छिपा रहीं सरकार..', सीएम एमके स्टालिन के खिलाफ कोर्ट में केस, 18 मार्च को सुनवाई भाजपा की गठबंधन सरकार को NCP का समर्थन, महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ है शरद पवार की पार्टी 'मनीष सिसोदिया को तिहाड़ में खूंखार कैदियों के साथ रखा..', AAP के दावों को क्यों कहा जा रहा 'प्रोपेगेंडा' ?