वाशिंगटन: दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही महामारी और गंभीर बीमारी का प्रकोप दुनियाभर में लोगों के लिए आफत बन चुका है, हर दिन कोई न कोई नए मामले सामने आने से लोगों में कोरोना वायरस को लेकर खौफ और भी बढ़ता जा रहा है. वहीं लगातार संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रह है, इतना ही नहीं अब तो कोरोना वायरस ने एक महामारी का रूप भी ले लिया है जिसके बाद से लोगों के घरों में खाने की किल्लत बढ़ती ही जा रही है न जाने इस वायरस के कारण और ऐसी कितनी मासूम जिंदगियां है जो तबाही के कगार पर आ चुकी है. वहीं अब तक दुनियाभर में मौत का आंकड़ा 3 लाख 20 हजार के पार हो चुका है. वहीं कोरोना की दवा खोज रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि एंटिबॉडी के मिश्रण से कोरोना वायरस को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है. अध्ययन के मुताबिक 2002-03 में एसएआरएस महामारी से स्वस्थ हुए पीड़ित व्यक्ति की एंटीबाडी का इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. मिली जानकारी के अनुसार जर्नल नेचर में छपे इस अध्ययन में कहा गया है कि एसएआरएस से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उत्पन्न एंटीबॉडी वायरस को निष्क्रिय कर सकती है. इससे एंटी वायरल उपचारों के साथ ही टीका विकसित करने में मदद मिलेगी. अध्ययन में शामिल अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के शोधकर्ता ने कहा कि खास तरह की एंटीबॉडी विशेष प्रोटीन पर निशाना साध सकती है. जंहा इस बारें में उन्होंने कहा कि इन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की पहचान होने से जो कोरोना वायरस, एसएआरएस-सीओवी -2 और इसी तरह के अन्य वायरस पर पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन से बांध सकते हैं, कोविड-19 के इलाज या रोकथाम के प्रयासों में मदद कर सकते हैं. अध्ययन में डेविड कोर्टी और उनके सहयोगियों ने एसएआरएस 2002-03 से ठीक हुए पीड़ित में मौजूद मोनोक्लोनल एंटीबाडी की पहचान की है. दुनियाभर में घिरे चीन ने पेश की सफाई, बोला- हमने कोरोना को लेकर कुछ नहीं छिपाया तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान का करारा जवाब, कहा- भारत हमारे लिए सबसे बड़ा दानदाता वैज्ञानिक करोल स‍िकोरा का दावा- वैक्सीन बनने से पहले ही मर जाएगा कोरोना !