जयपुर: राजस्थान सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन और छलपूर्वक धर्मांतरण जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक सख्त कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की कैबिनेट ने धर्मांतरण विरोधी बिल को मंजूरी दे दी है। इस बिल के तहत जबरन धर्मांतरण कराने वालों को 10 साल तक की सजा हो सकती है। राज्य में हिंदू युवतियों के जबरन धर्मांतरण और लव जिहाद की घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला किया। कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि "द राजस्थान प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलीजन बिल-2024" जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा। इस कानून का उद्देश्य बलपूर्वक, प्रलोभन, या छल द्वारा धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक लगाना है। 1. शादी के नाम पर छल: यदि कोई व्यक्ति शादी के बहाने धर्म परिवर्तन कराता है, तो परिवारिक न्यायालय इसे अवैध घोषित कर सकता है। 2. कठोर दंड: जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 10 साल का कठोर कारावास होगा। 3. पूर्व सूचना आवश्यक: यदि कोई अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे 60 दिन पहले जिला अधिकारी को सूचित करना होगा। 4. अपराध का स्वरूप: यह अपराध गैर-जमानती और संज्ञेय होगा, यानी इसमें तुरंत गिरफ्तारी संभव होगी। 5. संवैधानिक अधिकारों की रक्षा: संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत प्रावधानों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। राज्य के कानून मंत्री के अनुसार, वर्तमान में राजस्थान में जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है। इसका फायदा उठाकर आपराधिक तत्व छल और दबाव के माध्यम से इस तरह के अपराध करते हैं। यह बिल इन्हीं घटनाओं पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है। बिल को कैबिनेट की मंजूरी के बाद, इसे विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। यह विधेयक राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह कानून न केवल समाज में हो रहे धार्मिक शोषण को रोकने में मदद करेगा, बल्कि राज्य में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा भी करेगा। केरल: मौलवी शरफुद्दीन को 70 साल की जेल, मदरसे की छत पर करता था 'पाप' जम्मू में BSF की दो नई बटालियन तैनात, पाकिस्तानी घुसपैठ पर लगाम लगाने की तैयारी प्रजनन दर पर RSS चीफ भागवत ने दिया बयान, कांग्रेस-ओवैसी क्यों भड़क गए?