क्रिकेट में सुधार को लेकर लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर आनाकानी कर रहे बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की मुश्किलें रुकने का नाम ही ले रही है. उन पर झूठ बोलने का आरोप लगा है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सुनवाई के दौरान कहा कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि बोर्ड अध्यक्ष ठाकुर और जनरल मैनेजर सुनील शेट्‌टी ने हलफनामे में झूठ बोला है. ऐसे में अगर आरोप सही साबित होता है तो ठाकुर को कम से कम तीन साल की सजा मिल सकती है. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि ठाकुर एक सप्ताह के अंदर ऐसे साक्ष्य कोर्ट में जमा कर सकते हैं जिनसे उनपर लगा आरोप गलत साबित हो जाए. मामले की अगली सुनवाई 2 जनवरी को हो सकती है. बीसीसीआई के जनरल मैनेजर सुनील शेट्‌टी ने 7 अक्टूबर को दायर अपने हलफनामे कहा था कि अनुराग ठाकुर ने आईसीसी को मामले में दखल देने के लिए कभी कोई पत्र नही लिखा. वही ऐसे में कोर्ट ने ठाकुर और शेट्‌टी के हलफनामे में तथ्यों का अंतर पाया. कोर्ट ने कहा कि शेट्‌टी के हलफनामें में जो बात कही गई है वह आईसीसी के सीईओ के बयान को पूरी तरह गलत बताती है और यह ठाकुर के बयान से भी अलग है. इससे लगता है कि ठाकुर और शेट्‌टी ने हलफनामे में झूठ बोला है. वही कोर्ट ने बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि अगर अनुराग ठाकुर कड़े फैसले से बचना चाहते हैं तो माफी मांगें. इस पर सिब्बल ने कहा कि मनोहर को लिखे पत्र में कोर्ट के दखल को नहीं बल्कि एपेक्स काउंसिल में सीएजी की नियुक्त को सरकारी दखल के समान बताया गया था. लोढ़ा पैनल पर सुप्रीम कोर्ट 17 अक्टूबर को... BCCI लोगो को गुमराह कर रहा है : लोढा...