डीजल के कारो पर मानो मुसीबत आ पड़ी हो अब आगे का सफर तय करना उनके लिए काफी परेशानी भरा हो सकता है। हाल ही नई कार बलेनो, ग्रैंड आई10 और टाटा टियागो जैसी कॉम्पैक्ट कारों में लगभग 20 फीसदी डीजल से चलने वाली कार हैं। 2012-13 में जो कार बेची गई थी लगभग उनमें 47 फीलदी डीजल इंजन वाली थीं और यह आंकड़ा पिछले वर्ष अप्रैल-सितंबर में घटकर 27 फीसदी तक आ गया था। यूटिलिटी वीइकल खरीदने वाले भी अब पेट्रोल इंजन वाली कार को पसंद कर रहे हैं। जबकि 2012-13 में केवल तीन फीसदी यूटिलिटी वीइकल बायर्स पेट्रोल वर्जन खरीद रहे थे। पिछले वर्ष अप्रैल-सितंबर के दौरान 16फीसदी यूटिलिटी वीइकल बायर्स ने पेट्रोल इंजन वाले मॉडल खरीदे। 2014 में पेट्रोल और डीजल की कीमत के बीच अंतर लगभग 20 रुपये का था। जो अब घटकर करीब 10 रुपये का है। अब डीजल कारों की बिक्री कम होने का केवल यही कारण नहीं है। नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के अप्रैल 2015 में NCR में 10 वर्ष पुराने डीजल वीइकल्स पर बैन लगाने के कारण इसका काफी असर पड़ा है। दो साल पहले कॉम्पैक्ट कार खरीदने वाले डीजल कार काफी पसंद कर रहे थे। पर सरकार के डीजल की कीमत से कंट्रोल हटाने के बाद स्थिति बदल गई है। डीजल कॉम्पैक्ट कार खरीदने वालों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण अधिक फ्यूल एफिशिएंसी और प्रति लीटर चलाने का कम खर्च था। लेकिन अब पेट्रोल और डीजल की कीमत के बीच काफी अतंर है। हमर कार से भी महंगा है यह लग्जरी ट्रैक्टर, जानिए इसके इंटीरियर के बारे में 16 करोड़ की बुगाटी शिरॉन की एक कार को बनने में लगते हैं 6 माह, जानिए कैसे?