कही आप भी तो नहीं डरते शनि देव से...? यदि हाँ तो अभी जान लें

 ज्योतिष शास्त्र में मुख्य रूप से 9 ग्रहों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है, इसमें सूर्य पुत्र महाराज शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह कहे जाते है. शनि किसी एक राशि में लगभग 2 साल 6 महीने रहते हैं. वहीं 12 राशियों की परिक्रमा शनि देव 29 साल 5 महीने, 17 दिन और 5 घंटों में पूरा करते है. इतना ही नहीं इसके साथ साथ जब शनि देव वक्री या मार्गी होते हैं तब भी इस अवस्था में वे 140 दिन होते है. शनि देव कर्म प्रधान देवता भी कहे जाते है, जोकि अच्छे बुरे कर्मों के मुताबिक व्यक्ति को अवश्य ही दंडित करते हैं. शनि देव हर व्यक्ति को साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान भी दंड देते हैं. साथ ही शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है.

यही वजह है कि लोग शनि देव का नाम सुनते ही डर जाते है. शनि से भयभीत होने की एक वजह ये भी है कि कुंडली के बाहर भाव में से केवल 2-3 को छोड़कर सभी भाव शनि की दृष्टि से प्रभावित हो जाते है. यदि आप भी शनि देव का नाम सुनते ही डर जाते हैं तो ये खबर आपके लिए भी है शनि देव से डरने के बजाय शनि को समझने की आवश्यकता है.

कैसा है शनि का स्वरूप: शनि ग्रह को ज्योतिष में नील वर्ण कहा जाता है. इनकी भौंहे तीखी और आंखे लाल है. शनि देव का एक पांव चोटिल है, जिसकी वजह से ये लगड़ाकर भी चलते हैं. भगवान शिव शनि देव के गुरु हैं. शिवजी ने ही शनि देव को न्यायधीश का स्थान दे रखा है.

शनि देव का परिवार: शनि देव के परिवार के बारें में बात की जाए तो सूर्य देव इनके पिता हैं और माता छाया है. यमराज शनि देव के भ्राता है. शनि देव की तीन बहनें हैं जिनका नाम सुवर्चला, यमुना और भद्रा है. शनि देव की आठ पत्नियां हैं जिनके नाम इस प्रकार है- ध्वजिनी, धमिनी, कंकाली, कलहप्रिया, कंटकी, तुरंगी, महिषी और अजा है.

शनि देव को लेकर लोगों की धारणा: शनि देव बुरे कर्मों के लिए अवश्य ही दंडित करते हैं. इसलिए शनि देव को न्यायकर्ता के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए लोगों के मध्य शनि देव को लेकर ऐसी धारण है कि शनि देव दुख और कष्ट देने वाले ग्रह भी मानते हैं. लेकिन अगर आप अच्छे कर्म करते हैं, गरीब दुखियों की सहायता करते हैं, मजदूरों के प्रति उदार रहते हैं, महिलाओं और बुजुर्गों का सम्मान करते हैं तो आपको शनि देव से बिल्कुल भी डरने की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं है. शनि देव आपके इन पुण्य कर्मों का शुभ फल ही आपको प्रदान करेंगे.

जीवन पर शनि का प्रभाव: ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास का इस बारें में कहना है कि  कुंडली में शनि का लग्न भाव में होना अच्छा नहीं होता. क्योंकि लग्न भाव में शनि के होने पर व्यक्ति गुणवान तो होता है लेकिन शनि की प्रवृत्ति की तरह उसके काम करने की गति धीमी ही होती है. ऐसे लोगों बड़े स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है. लेकिन जिस व्यक्ति पर शनि का शुभ प्रभाव होता है वह कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय भी हो सकता है. शनि की कृपा से ही सफलता मिलती है और सफलता का प्रभाव भी लंबे समय तक रहता है.

शनि है अच्छा ग्रह: ज्योतिष के मुताबिक शनि शुभ फल देने वाले, शक्तिशाली और नवग्रहों में महत्वपूर्ण ग्रह कहे जाते है, इसलिए ये एक अच्छे ग्रह हैं. लेकिन ये शुभ फल तभी देंगे जब कार्य इनके स्वभाव के अनुरूप किया गया हो. शनि के स्वभाव के अनुरूप यदि कार्य होगा तो शनि के दुष्प्रभाव का कोई असर नहीं होगा. शनि मोक्ष प्रदाता भी कहे जाते है.

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