हिन्दू धर्म में पान के पत्तों के महत्व से क्या आप भलीभांति परिचित हैं?

पान खाने के बहुत से लोग शौकीन होते हैं। देखा जाये तो सेहत की दृष्टि से पान काफी उत्तम माना गया है। आमतौर पर यह मुंह का स्वाद और पेट से जुड़ी कई परेशानियों का अंत करता है। लेकिन क्या आप जानते है। पान के पत्तों का धार्मिक दृष्टि से भी काफी महत्व माना गया है। इसका इस्तेमाल हर प्रकार की पूजा सामग्री में अनिवार्य रूप से किया जाता है। पान को संस्कृत में तांबूल भी कहा जाता है। अब तक आप यह तो जानते ही होगें की पान को पूजा सामग्री में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसे क्यों किया जाता है इस बात से आप जरूर अंजान होगें तो चलिए आज हम आपसे इसी विषय पर चर्चा करते हैं कि वास्तव में पान पूजा सामग्री में क्यों जरूरी माना जाता है?

पान हवन पूजा की एक अहम सामग्री है। हिन्दू धर्म में विशेष माने जाने वाले ‘स्कंद पुराण’ में भी पान का ज़िक्र किया गया है। बताया गया है कि देवताओं द्वारा समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का प्रयोग किया गया था। यहां से पान के पत्ते का इस्तेमाल रोशनी में आया। लेकिन पान के पत्ते की आध्यात्मिक महत्ता तो इससे भी काफी अधिक है।

पान का पत्ता नकारात्मक ऊर्जा को दूर करनेवाला और सकारात्मक ऊर्जा को बढाने वाला भी माना जाता है तभी तो इसे पूजा-पाठ में खास महत्व दिया गया है।

भगवान शिव को पान अर्पित करने से व्यक्ति का मनोकामना पूर्ण होती है। इस विशेष पान में केवल गुलकंद, खोपरे का बुरा, कत्था, सौंफ और सुमन कतरी डली हुई होती है। महादेव का पूजन कर नैवेद्य के पश्चात उनको यह पान अर्पण करें और घर में सुख-शांति पाएं।

मंगलवार तथा शनिवार को हनुमान जी को एक डंठल वाला पान का पत्ता तथा लड्डू चढ़ाने से आपके लंबे समय से अटके कार्य पूरे होते हैं। इसके इलावा ऐसा आपको लगातार सात शनिवार तक करना चाहिए। इस उपाय से बड़ी से बड़ी समस्या भी हल हो जाती है।

 

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