त्रिवेन्द्रमः तीन तालाक प्रथा के खिलाफ सबसे मुखर आवाजों में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान आज केरल में बतौर राज्यपाल पद की शपथ लेंगे। तीन तलाक मुद्दे पर तत्कालीन राजीव गांधी सरकार से इस्तीफा देने वाले आरिफ इस मुद्दे पर काफी मुखर रहे हैं। उन्हेंने कांग्रेस पर काफी गंभीर आरोप लगाए। आरिफ मोहम्मद खान इस मुद्दे पर बीजेपी के काफी करीब आ गए। उन्हेंने पार्टी ज्वाइन भी की। लेकिन वह अधिक दिनों तक नहीं रह सके और पार्टी छोड़ दी। राजनीति के नेपथ्य में रह रहे खान दुबारा चर्चा में तब आए जब मौजूदा सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ बिल संसद में आई। पीएम मोदी ने बहस के दौरान उनके द्वारा दिए गए पूर्व बयान को अपने स्पीच में शामिल किया। इससे कयास लगने लगे खान मोदी के करीबी बन गए हैं। अटकलें थीं कि उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा। मगर उन्हें दक्षिण में बीजेपी के लिए रणनीतिक रूप से अहम राज्य केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। खान ने अस्सी के दशक में राजीव गांधी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद धार्मिक विचारों को सुधारने में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। कुरान एंड कंटेंपरेरी चैलेंज उनकी 2010 की बेस्ट सेलर किताबों में है। आरिफ मोहम्मद खान के लेख लगातार सुधार की आवाज उठाते रहे हैं। वह कहते हैं कि तीन तलाक मुस्लिम समाज में औरत को जिंदा दफन कर देने जैसा है। आरिफ मोहम्मद उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से आते हैं। वह चार बार लोकसभा सांसद बनें। खान ने अपने सियासी सफर की शुरूआत एएमयू से की। वह 1972-73 में अलीगढ़ मुस्लिम विद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। 1971-72 में उन्होंने स्याना विधानसभा क्षेत्र बुलंदशहर से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था। इस चुनाव में वह हार गए थे। 1977 में वह फिर जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुन लिए गए और राज्य सरकार में मंत्री बने। हालांकि कांग्रेस ने अपने इस पूर्व कांग्रेसी को इतने बड़े पद से नवाजे जाने पर चुटकी ली है। हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज, इनेलो के चार विधायकों ने दिया इस्तीफा INX मीडिया मामला: अदालत ने ठुकराई सिब्बल की दलील, तिहाड़ जेल भेजे गए चिदंबरम अब आजम खान के हमसफर रिजॉर्ट पर हुई छापेमारी, पकड़ी गई एक और चोरी