सशस्त्र सेना झंडा दिवस - जनता द्वारा देश की सेना के प्रति सच्ची श्रद्धा और सम्मान

झंडा हे भारत की शान  झंडा है वीरों की आन  इसको है हम शीश झुकाते  जन-गण-मन का गीता है गाते 

जैसा की आप जानते ही होगें की झंडा दिवस का उद्देश्य भारत की जनता द्वारा देश की सेना के प्रति सच्ची श्रद्धा और सम्मान प्रकट करना है.सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाने का दिन, जो देश की तरफ आंख उठाकर देखने वालों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए.सेना में रहकर जिन्होंने न केवल सीमाओं की रक्षा की, बल्कि आतंकवादी व उग्रवादी से मुकाबला कर शांति स्थापित करने में अपनी जान न्यौछावर कर दी.अपने परिवार से दूर रहकर देश की रक्षा में लिए दिन-रात एक कर दी,न दीवाली न होली, बस देश की रक्षा को अपना परम कर्तव्य मानते हुए आगे बढे और वीर गति को प्राप्त हो गए ऐसे भारतीय सशस्त्र सेना के कर्मियों के कल्याण हेतु भारत की जनता से धन का संग्रह राशि का उपयोग युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के परिवार या हताहत हुए सैनिकों के कल्याण व पुनर्वास में खर्च की जाती है. यह राशि सैनिक कल्याण बोर्ड की माध्यम से खर्च की जाती है. देश के हर नागरिक को चाहिए कि वह झंडा दिवस कोश में अपना योगदान दें, ताकि हमारे देश का झंडा आसमान की ऊंचाइयों को छूता रहे.

भारत सरकार ने 1949 से सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने का निर्णय लिया. देश की सुरक्षा में शहीद हुए सैनिकों के आश्रितों के कल्याण हेतु सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है. इस दिन झंडे की ख़रीद से होने वाली आय शहीद सैनिकों के आश्रितों के कल्याण में खर्च की जाती है.सशस्त्र सेना झंडा दिवस द्वारा इकट्ठा की गई राशि युद्ध वीरांगनाओं, सैनिकों की विधवाओं, भूतपूर्व सैनिक, युद्ध में अपंग हुए सैनिकों व उनके परिवार के कल्याण पर खर्च की जाती है. 7 दिसंबर,1949 से शुरू हुआ यह सफ़र आज तक जारी है.आज़ादी के तुरंत बाद सरकार को लगने लगा कि सैनिकों के परिवार वालों की भी जरूरतों का ख्याल रखने की आवश्यकता है और इसलिए उसने 7 दिसंबर को झंडा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया.

हम जब अपने घरों में सोते रहते है, त्यौहारों में खुशियां मनाते, उस वक्त देश की रक्षा में डटे ये जवान ठण्ड, गर्मी, बरसात को झेलते हुए अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहते है. हम सभी के साथ हमारी संस्था देश के जवानों को सलाम करती है.

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