प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अपना एक अहम फैसला सुनाया है। जी दरअसल इस फैसले में कहा गया है कि, 'जिस व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, उसकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए ‘एक अंतिम विकल्प’ होना चाहिए।' इसके अलावा यह भी कहा गया है कि, 'जिन मामलों में आरोपी की गिरफ्तारी बेहद जरूरी है, या उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है, उन मामलों में गिरफ्तारी होनी चाहिए।' कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि, 'तर्कहीन और अंधाधुंध गिरफ्तारियां मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं।' जी दरअसल बीते बुधवार को एक मामले में जस्टिस सिद्धार्थ ने बुलंदशहर के सचिन सैनी नाम के व्यक्ति को शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दी। इस दौरान कहा गया कि, 'अदालतों ने बार-बार कहा है कि पुलिस के लिए गिरफ्तारी एक अंतिम विकल्प होना चाहिए और जहां आरोपी की गिरफ्तारी या हिरासत में पूछताछ जरूरी है, उन्हीं मामलों में गिरफ्तारी होनी चाहिए। सैनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की अलग-अलग धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई थीं।' इसके अलावा हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि, 'FIR दर्ज करने के बाद पुलिस अपनी इच्छा से आरोपी की गिरफ्तारी कर सकती है। जिस आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, उसे गिरफ्तार करने को लेकर पुलिस के लिए कोई निश्चित अवधि तय नहीं की गई है।' इस दौरान अपने आदेश में कोर्ट ने जोगिंदर कुमार के मामले का भी जिक्र किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पुलिस आयोग की तीसरी रिपोर्ट का हवाला दिया है। जी दरअसल इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 'भारत में पुलिस द्वारा की जाने वाली गिरफ्तारी पुलिस में भ्रष्टाचार के मुख्य स्रोतों में से एक है।' इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 'पुलिस द्वारा की जाने वाली करीब 60 प्रतिशत गिरफ्तारियां या तो गैर-जरूरी या अनुचित होती हैं और इस तरह की अनुचित पुलिस कार्रवाई जेल के खर्चों में 43.2 प्रतिशत का योगदान करती हैं।' 16 साल की नाबालिग लड़की संग पड़ोसी ने किया दुष्कर्म, हुआ गिरफ्तार आज कृषि कानूनों के संबंध में लोगों से सीधा संवाद करेंगे मनोहर लाल खट्टर अपनी प्रतिष्ठा के साथ विश्व में अमेरिका की छवि को ट्रम्प ने पहुंचाया नुकसान