21 वीं सदी में भारत और बिहार की सियासत को दिशा देने में जिन चुनिंदा नेताओं का नाम हमेशा याद किया जाएगा, उनमे अरुण जेटली का नाम भी शामिल है। अरुण जेटली, इकॉनमी, कानून और सियासत की गहराई तक समझ रखने वाले विद्वान एवं दूरदर्शी नेता, कुशल संगठनकर्ता एवं रणनीतिकार के साथ ही व्यक्तिगत संबंधों को संजीदगी से निभाने वाले बेहद सरल व्यक्तित्व के शख्स थे। सियासी मूल्यों एवं आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता की बदौलत उन्होंने सार्वजनिक जीवन में दलगत सीमाओं से परे, सभी दलों का सम्मान प्राप्त था। अरुण जेटली ने जीवन की प्रत्येक भूमिका में अमिट छाप छोड़ी। छात्र जीवन में 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के प्रमुख बने और उसी साल जेपी के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से जुड़े। इमरजेंसी के दौरान जेल भी काटी। संसद के उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपनी भाषण शैली से सबको प्रभावित किया। वकील की भूमिका में कानून के विद्वान के रूप में विख्यात हुए। केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में GST, दिवालिया कानून और बैंकों के एकीकरण समेत कई बड़े और अहम् परिवर्तनों की नींव रखी। उनका जन्म भले बिहार में नहीं हुआ था, किन्तु बिहार और यहां की सियासत से उनका गहरा जुड़ाव था। 15 वर्ष पूर्व एक ऐसे वक़्त में, जब हर कोई कह रहा था कि अपराध और भ्रष्टाचार के दलदल में गहरे धंसे बिहार में परिवर्तन नहीं हो सकता, यहां NDA सरकार के गठन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। वे तब बिहार भाजपा के प्रभारी थे। फरवरी 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पटना में डेढ़ माह तक कैंप कर जदयू और भाजपा के बीच समन्वय को प्रगाढ़ करते हुए NDA की जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मशक्कत की थी। भारत-चीन के रिश्ते बिगड़े तो ऑटो, कॉस्मेटिक सहित हर क्षेत्र में पड़ेगा गहरा असर जल्द ही भारत को फ्री मिलेगी कोरोना वैक्सीन, केंद्र सरकार खरीदेगी 68 करोड़ खुराक अंडरवर्ल्ड डॉन मामले पर पाक फिर पलटा, कहा- हमारी जमीन पर नहीं है दाऊद