नई दिल्ली: देश की गिनी-चुनी इतिहास लिखने वाली महिलाओं में से एक नाम है जस्टिस लीला सेठ का। लीला किसी उच्च न्यायालय की पहली मुख्य न्यायाधीश थीं। ‘मदर इन लॉ' के नाम से मशहूर लीला दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश बनीं थी। लीला सेठ, दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश थीं और साथ ही किसी उच्च न्यायालय (हिमाचल प्रदेश) की पहली महिला चीफ जस्टिस थीं। लीला भारत में महिलाओं के अधिकारों को लेकर बड़े फ़ैसले देने वाली कमिटियों में शामिल रहीं हैं। वो 15वां लॉ कमिशन का भी हिस्सा थीं, जिसने हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में कुछ अहम संशोधनों का सुझाव दिया था। इस दौरान, महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में बराबर का अधिकार देने का फैसला किया गया था। इसके साथ ही, वो जस्टिस वर्मा कमिटी में भी शामिल रहीं थीं, ये निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के बाद गठित की गई थी। न्यायमूर्ति वर्मा के नेतृत्व में तीन सदस्यों की इस कमिटी की एक सदस्य लीला सेठ थीं। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मैरिटल रेप को गैरकानूनी और क्राइम की श्रेणी में डालने का सुझाव दिया था। लीला ने महिलाओं सहित समलैंगिकों के लिए भी आवाज़ उठाई थी। इतिहास में अपना नाम लिखने वाली मदर ऑफ़ लॉ यानी लीला सेठ ने 86 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। 5 मई, 2017 को हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हो गयी थी। 'धर्मांतरण के कारण हिन्दुओं की आबादी घटी..', RSS नेता दत्तात्रेय होसाबले का बयान यूपी निकाय चुनाव: नवंबर में जारी हो सकती है अधिसूचना, अंतिम चरण में मतदाता पुनरीक्षण का कार्य यूपी में अब भी बरक़रार है बाढ़ का खतरा, राप्ती और कुआनो का जलस्तर बढ़ा