नई दिल्ली: आज विश्व की महानतम वैज्ञानिकों में से एक मेरी क्यूरी (Marie Curie) की जयंती है, जिन्हे दुनिया मैडम क्यूरी के नाम से भी जानती है। मैडम क्यूरी ने दो नए तत्वों पोलोनियम और रेडियम की खोज की थी। 1911 में रेडियम के शुद्धिकरण पर नोबेल पुरस्कार पाने के पश्चात फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान उन्होंने एक्स रे रेडियोग्राफी के विकास में अपना वक़्त लगा दिया। जिसके बाद मेरी क्यूरी उन्होंने अपना काफी सारा वक़्त रेडियोएक्टिविटी के चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग को समर्पित कर दिया। यह बात भी अधिक लोग नहीं जानते हैं कि मैडन क्यूरी ने प्रथम नोबोल अपने पति के साथ जीता था। मैडम क्यूरी को अपने पति के साथ बेकरेल द्वारा खोजे गए सहज विकिरण में उनके अध्ययन के लिए 1903 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बता दें कि, मैडम क्यूरी के नाम नोबेल पुरस्कार को लेकर ही कई अनोखे रिकॉर्ड भी हैं, जिन्हे आज तक कोई नहीं तोड़ सका है। वे नोबेल पुरस्कार जीतने वाली प्रथम महिला थीं। आज भी वे ही एकमात्र महिला हैं, जिन्होंने दो बार नोबेल पुरस्कार का सम्मान मिला था और दो अलग क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीते हैं। वर्ष 1955 में उनकी बेटी आइरीन ने भी नोबेल पुरस्कार अपनी नाम किया था। इस तरह वे इकलौती ऐसी महिला हैं जिनकी संतान ने नोबेल पुरस्कार हासिल किया था। मैडम क्यूरी ने अपनी तमाम उम्र लैब में ही कार्य को करना पसंद किया था और वे अपना अधिकांश वक़्त प्रयोगशाला में ही बिताया करती थीं। इतना ही नहीं उनका जीवन भी पढ़ाई के इर्दगिर्द ही बिता है। उन्होंने शुरुआती दिनों में गवर्नेस का कार्य भी किया और पढ़ाई में रुचि के चलते ट्यूशन भी पढ़ाई। पढ़ाई के बीच और उसके बाद भी उन्हें जीवन में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्थिति ये थी कि, पेरिस की कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए उन्हें अपने सारे कपड़े पहनने पड़ते थे, उनके पास गर्म कपड़े खरीदने के पैसे नहीं होते थे। फिर भी उनका सबसे अधिक खर्च एक्सपेरिमेंट्स पर ही होता था। आज 7 नवंबर को उनके जन्मदिन पर पूरा विश्व उन्हें और उनके योगदान को याद कर रहा है। शरीर में दिखें ये लक्षण तो हो जाएं सावधान, हो सकता है कैंसर विज्ञान में 'नोबेल पुरस्कार' जीतने वाले पहले एशियाई व्यक्ति के बारे में कितना जानते हैं आप नेशनल यूनाइटेड ने CISF को दी करारी मात