आज ही के दिन 1930 में जन्मे आनंद बख्शी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में एक जाना माना नाम हैं । उन्होंने रॉयल इंडियन नेवी में बतौर कैडेट कार्य किया था। किन्तु गीतकार बनने की ललक उन्हें बम्बई खींच लाई। सबसे पहले उन्हें 1958 में भगवान दादा की फिल्म भला आदमी में गीत लिखने का अवसर प्राप्त हुआ मिला। हालांकि एक गीतकार के रूप में उन्हें पहचान 1962 में आई फिल्म मेहेंदी लगी मेरे हाथ से मिली। इसके बाद 1965 में आई फिल्म जब जब फूल खिले में भी सभी गाने उन्होंने ही लिखे, जो कि सुपरहिट रहे। उसी साल आई एक और फिल्म हिमालय की गोद में का गीत ‘चांद सी महबूबा हो मेरी’ उस वक़्त काफी पसंद किया गया था। 1967 में आई सुनील दत्त की फिल्म मिलन के गीत ‘सावन का महीना पवन करे शोर’ के बाद वह सफल गीतकार बन गए। 1969 में आई फिल्म आराधना के गीत भी उन्होंने लिखें थे। इसका 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू' को गायक किशोर कुमार, एक्टर राजेश खन्ना और संगीतकार आर॰ डी॰ बर्मन की कामयाबी में बहुत श्रेय दिया जाता है। आगे चलकर इन लोगों की जुगलबंदी में कई सुपरहिट गीत निर्मित हुए। इसके बाद वो 2002 में देह छोड़ने तक वो सक्रिय रूप से गीत लिखतें रहे। अपने 40 वर्षों से ऊपर के करियर में उन्होंने तक़रीबन 600 फिल्मों के लिये 4 हजार से अधिक गीत लिखें। आनंद बख्शी को फिल्मफेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिये 40 बार नामांकित किया गया जिसमें वो 4 बार विजेता घोषित हुए। रूमर्ड गर्लफ्रेंड संग सलमान ने की धान की खेती, वायरल हो रहा वीडियो नेपोटिज्म पर गोविंदा ने तोड़ी चुप्पी, किये चौकाने वाले खुलासे जल्द ही सिनेमा घरों में दस्तक देंगी अक्षय कुमार की ये दो बड़ी फिल्में