दादाभाई नौरोजी का जन्म 4 सितम्बर 1825 को हुआ था, वे ब्रिटिशकालीन भारत के एक पारसी बुद्धिजीवी, शिक्षाशास्त्री, कपास के व्यापारी और राजनैतिक एवं सामाजिक नेता थे। उन्हें 'भारत का वयोवृद्ध पुरुष' कहा जाता है। 1892 से 1895 तक वे युनिटेड किंगडम के हाउस आव कॉमन्स के सदस्य (सांसद) भी रहे। आज उनकी जयंती पर हम आपको बताने जा रहे हैं 5 ऐसी बातें, जिन्हे शायद आप नहीं जानते होंगे। 1- दादाभाई की 4 बरस की उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया था. मां मानेकबाई ने उनको अकेले पाला. खुद पढ़ी-लिखी नहीं थीं, लेकिन दादाभाई को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. दादाभाई को दादाभाई बनाने में मां का ही सबसे बड़ा योगदान था. 2- दादाभाई नौरोजी ने ही मशहूर 'ड्रेन थ्योरी' दी थी. दरअसल, ब्रिटिश हमेशा बातें इंडिया के भले की करते थे. कहते कि हम सब कुछ भारत के लिए ही कर रहे हैं. लेकिन दादाभाई नौरोजी ने उनका पूरा कच्चा चिटठा खोल दिया. उन्होंने ये सार्वजनिक कर दिया कि ब्रिटिश, इंडिया से कच्चा माल ब्रिटेन ले जाते हैं. वहां की फैक्ट्री में बना के भारत में ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं. इसीलिए इंडिया में कोई फैक्ट्री नहीं लगने दे रहे हैं. 3- सन 1867 में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन बनने में दादाभाई नौरोजी ने पूरा सहयोग किया. 1886 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेसिडेंट बनाए गए दादाभाई नौरोजी. बाद में 1892 में लिबरल पार्टी से ब्रिटेन की संसद में सदस्य बने. 4 - बम्बई में दादाभाई नौरोजी नाम की एक सड़क भी है. यही नहीं पाकिस्तान के कराची में भी इनके नाम पर एक सड़क है. दिल्ली में नौरोजी नगर है. वहीं ब्रिटेन की राजधानी लंदन में नौरोजी स्ट्रीट है. 5- 1906 में कांग्रेस के कलकत्ता सेशन में दादाभाई नौरोजी ने स्वराज यानी इंडिया का राज को कांग्रेस पार्टी के लक्ष्य के रूप में सबके सामने रखा. उस वक़्त अपने तरह का ये पहला ऐलान था. दादाभाई नौरोजी को Grand Old Man of India कहा जाता था. इनको Father of ‘Indian Freedom Struggle भी कहा जाता है. भारत आज नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन 2021 का करेगा मेजबानी शिक्षा निदेशक ने कहा- "किसी भी राष्ट्रीयता के 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे..." यज्ञ में गाय का घी डालने से होती है वर्षा: इलाहाबाद HC