एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि आज, जानिए उन्हें कैसे मिला था 'मिसाइल मैन' नाम

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के उन राष्ट्रपतियों में गिने जाते हैं, जिन्हें जनता का सबसे अधिक प्यार मिला. जब वो वैज्ञानिक थे, तब भी देशसेवा में उनके योगदान के लिए लोगों ने उन्हें सिर आंखों पर बिठा लिया. जब वे राष्ट्रपति बने तो सर्वोच्च पद पर आसीन एक सादगी पसंद शख्स की जनता मुरीद हो गई. 27 जुलाई 2015 को कलाम साहब का देहांत हो गया. उन्हें उनकी खूबियों के कारण ही आज भी उतनी ही शिद्दत से याद किया जाता है. अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल टेक्नोलॉजी पर कलाम साहब ने काफी काम किया. 

उस समय में मिसाइलों का होना उस देश की ताकत और आत्मरक्षा का पर्याय माना जाने लगा था. किन्तु विश्व के ताकतवर देश अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी को भारत जैसे देश के साथ शेयर नहीं कर रहे थे. जिसके बाद भारत सरकार ने अपना स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया. इंटीग्रेटेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम की कमान कलाम साहब को सौंपी गई. कलाम साहब के नेतृत्व में ही भारत ने जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की पृथ्वी मिसाइल, जमीन से हवा में काम करने वाली त्रिशूल मिसाइल, टैंक भेदी नाग जैसी मिसाइल बनाकर विश्व में अपना लोहा मनवाया. इसके बाद कलाम साहब 'मिसाइल मैन' के नाम मशहूर हो गए.

बता दें कि 1992 से 1999 तक अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे. उनके वैज्ञानिक सलाहकार रहते ही वाजपेयी की सरकार में पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट हुआ. इसमें कलाम साहब की भूमिका बेहद अहम थी. उनकी इन्हीं उपलब्धियों के चलते उन्हें 1997 तक भारत रत्न समेत कई सारे नागरिक सम्मानों से नवाज़ा जा चुका था.

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