नई दिल्ली: आज यानी 18 अगस्त महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि है। देश को स्वतंत्र कराने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया था। काशी से भी नेताजी का गहरा नाता था और वह कई दफा वाराणसी की गुप्त यात्रा पर आए थे। दावा है कि अंतिम वक़्त के कुछ दिन उन्होंने काशी में अज्ञातवास भी बिताया था। 18 अगस्त को उनकी पुण्यतिथि मनाई जाएगी। नेताजी की मौसी के प्रपौत्र वीरभद्र मित्रा ने जानकारी दी है कि काशी के लिए उनके मन में कई सारी योजनाएं थीं। उनके मौसा-मौसी बंगाली ड्योढ़ी में ही रहते थे। बोस दो दफा बंगाली ड्योढ़ी आए थे और बेहद गुप्त तरीके से यहां निवास किया। उनकी बहन की शादी गोरखपुर के राय परिवार में हुआ था और उनके बहनोई डॉक्टर थे। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) के भारत कला भवन में नेताजी से संबंधित कई स्मृतियां आज भी संग्रहित हैं। आजाद हिंद फौज का रुपया, मालवीय जी को नेताजी द्वारा लिखा हुआ पत्र संग्रहित कर रखा गया है। एक पत्र में उल्लेख मिलता है कि नेताजी ने महात्मा गांधी से कहा था कि आप बंटवारे की बात मत मानिए नहीं तो आने वाले वक़्त में इसी आधार पर सिखिस्तान, गढ़वालिस्तान की मांग उठने लगेगी। लेकिन, बोस की बात नहीं मानी गई और आज देश में खालिस्तान, द्रविड़नाडु जैसे अलग देशों की मांग उठने लगी हैं और अलगाववाद सिर उठाने लगा है। बता दें कि, आजादी से काफी पहले ही सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के जरिए भारतीय भूमि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को आज़ाद करवा लिया था और नेताजी ने वहां 30 दिसंबर 1943 को पहली बार तिरंगा फहराया था. उस समय के बड़े नेताओं ने अगर नेताजी का पुरजोर समर्थन किया होता, तो शायद हमें 1947 से पहले ही आज़ादी मिल चुकी होती, वो भी अंग्रेज़ों की शर्तों के बगैर और देश के टुकड़े किए बिना। नेताजी देश की मिट्टी और देशवासी आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। अगर आप भी हैं फोटोग्राफी के शौक़ीन..., तो आज ही करें ये काम, मिलेगा शानदार इनाम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, भ्रष्टाचार मामले में नहीं होगी कार्रवाई NSA अजित डोभाल की सुरक्षा में हुई चूक, 3 कमांडो पर गिरी गाज, हुए बर्खास्त