नई दिल्ली: 29 फ़रवरी 1896 को जन्मे मोरारजी देसाई भारत के स्वाधीनता सेनानी और देश के छठे पीएम थे। वह ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। वही एकमात्र शख्स हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से नवाज़ा गया था। वह 81 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे। इसके पहले कई बार उन्होंने पाईं बनने की कोशिश की परंतु नाकाम रहे। मगर ऐसा नहीं हैं कि मोरारजी प्रधानमंत्री बनने के योग्य नहीं थे। वस्तुत: वह दुर्भाग्यशाली रहे कि वरिष्ठतम नेता होने के बाद भी उन्हें पंडित नेहरू और लालबहादुर शास्त्री के देहांत के बाद भी पीएम नहीं बनाया गया। मोरारजी देसाई मार्च 1977 में देश के पीएम बने, किन्तु प्रधानमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल पूरा नहीं हो सका। चौधरी चरण सिंह से मतभेदों के चलते उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा। दरअसल, मार्च 1977 में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत प्राप्त हो गया था। लेकिन यहाँ पर भी पीएम पद के दो अन्य दावेदार मौजूद थे-चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम। किन्तु जयप्रकाश नारायण जो खुद कभी कांग्रेसी हुआ करते थे, उन्होंने किंग मेकर की अपनी स्थिति का फायदा उठाते हुए मोरारजी देसाई का समर्थन किया। परियोजना स्टाफ के पदों पर भर्ती, जानिए क्या है आयु सीमा क्या पाकिस्तान को मिल सकता है 6 बिलियन अमरीकी डॉलर का बेलआउट पैकेज ? खनन मामले में जनार्दन रेड्डी की याचिका पर शपथपत्र के लिए CBI को दी मोहलत