कभी केंद्र शासित प्रदेश हुआ करता था नागालैंड, इस तरह मिला राज्य का दर्जा

नई दिल्ली: हर साल 1 दिसंबर को नागालैंड स्थापना दिवस मनाया जाता है। नागालैंड 1 दिसंबर, 1963 को भारतीय संघ का 16 वां राज्य घोषित किया गया था। बारहवीं - तेरहवीं शताब्‍दी के दौरान यहाँ के निवासियों का असम के 'अहोम' लोगों से धीरे-धीरे संपर्क हुआ, किन्तु इससे इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष असर नहीं पड़ा। 

19वीं शताब्‍दी में ब्रिटिश के आगमन पर यह राज्य ब्रिटिश प्रशासन के अधीन आ गया। स्‍वंतत्रता के बाद 1957 में यह क्षेत्र केंद्र शासित प्रदेश बन गया और असम के गवर्नर द्वारा इसका प्रशासन देखा जाने लगा। यह 'नगा हिल्‍स तुएनसांग' क्षेत्र कहलाया। लेकिन गवर्नर का प्रशासन नागरिकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और यहाँ असंतोष फैलने लगा। अत: 1961 में इसका नाम बदलकर ‘नगालैंड’ रखा गया और इसे 'भारतीय संघ' के राज्‍य का दर्जा प्रदान किया गया, जिस‍का विधिवत उद्घाटन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ।

यह राज्‍य, पूर्व में म्यांमार, उत्‍तर में अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी कोहिमा है और इसे 'पूरब का स्विजरलैंड' भी कहा जाता है। नागालैंड राज्‍य का कुल क्षेत्रफल 16,579 वर्ग किमी है। 2001 का जनगणना के मुताबिक, इस राज्य की जनसँख्या 19,88,636 है। असम घाटी की बॉर्डर से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्‍य का क्षेत्र अधिकांशत: पहाड़ी है। इसकी सबसे ऊंची पहाड़ी का नाम सरमती है, जिसकी ऊंचाई लगभग 3,840 मीटर है। यह पर्वत श्रृंखला नागालैंड और म्‍यांमार के मध्य एक प्राकृतिक सीमा रेखा बनाती है।

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