नई दिल्ली: देश की बेटियों की आज लगभग हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं, किन्तु एक दौर ऐसा था, जब लोग बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता था। अगर बेटियों का जन्म हो भी गया, तो भी उन्हें बाल विवाह की आग में धकेल दिया जाता था। बेटियों और बेटों में भेदभाव, उनके साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ देश की स्वतंत्रता के बाद से ही भारत सरकार प्रयासरत हो गई थी। बेटियों को देश की प्रथम पायदान पर लाने के लिए कई योजनाएं और कानून बनाए गए। इसी मकसद से राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई। प्रति वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत वर्ष 2009 से हुई है। महिला बाल विकास मंत्रालय ने पहली दफा वर्ष 24 जनवरी 2009 को देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया। प्रति वर्ष 24 जनवरी को बालिका दिवस के रूप में मनाने का एक खास कारण है। यह कारण इंदिरा गांधी से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1966 में इंदिरा गांधी ने देश की पहली महिला पीएम के तौर पर शपथ ग्रहण की थी। भारत के इतिहास और महिलाओं के सशक्तिकरण में 24 जनवरी का दिन अहम है। यह दिन मनाने के कारण देश की बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। समाज में बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के संबंध में देश की बेटियों के साथ ही सभी लोगों को जागरूक करना है। इस दिन प्रति वर्ष राज्य सरकारें अपने अपने राज्य में जागरूक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। पी वी सिंधु ने किया शानदार प्रदर्शन, फाइनल में बनाया स्थान हिमाचल प्रदेश में जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत, 12 अस्पताल में भर्ती 10 दिन से अंडमान सागर में फंसे म्यांमार के दस मछुआरों को भारतीय तटरक्षकों ने किया रेस्क्यू