महात्मा गाँधी से भी पहले नोबल पुरस्कार के लिए नामित हुए थे राजा महेंद्र प्रताप

जाट राजा महेंद्र प्रताप 1932 में गांधी से काफी पहले नोबेल शांति पुरुस्कार के लिए नामित किए गए थे. नोबेल पुरुस्कार कमेटी द्वारा पेश रिकॉर्ड यह बताते हैं कि "राजा महेंद्र प्रताप" ने अपनी संपत्ति शिक्षण संस्थानों को दान में दे दी थी. उन्होने वृंदावन में एक टेक्निकल कॉलेज की स्थापना भी की थी. 1913 में उन्होने अफ्रीका में गांधी की मुहिम में भी साथ दिया था. भारत तथा अफ़ग़ानिस्तान की परिस्थितियों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए राजा महेंद्र प्रताप ने दुनिया भर की यात्राएं की थी.  1925 में उन्होंने एक मिशन पर तिब्बत जाकर बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा से वार्तालाप की थी.

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वे अफ़ग़ानिस्तान मसले पर बात करने के लिए तिब्बत गए थे पर उन्होने भारत में हो रही ब्रिटिश क्रूरता को दुनिया के सामने रखा. पर उस साल किसी को भी नोबेल पुरुस्कार नहीं दिया गया, पुरस्कार राशी का आवंटन नोबेल कमेटी के स्पेशल फंड के लिए कर दिया गया था. 1948 में जब गांधी का नामांकन हुआ था तब भी ये पुरुस्कार किसी को नहीं दिया गया था.

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