नई दिल्ली। बिहार की राजनीति में व्यापक बदलाव आ गया है। जेडीयू, भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर बिहार में सत्ताबहाली के नए समीकरण गढ़ रही है। ऐसे में केंद्रीय वित्त और रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव से फोन पर चर्चा की और अपील की कि वे सीएम नीतीश कुमार द्वारा भाजपा से गठबंधन करने के निर्णय पर गतिरोध को समाप्त करें। दूसरी ओर सीएम नीतीश कुमार ने भी शरद यादव को एनडीए नेतृत्व वाले भाजपा से गठबंधन करने के फायदे के बारे में बताया और बताया कि किस तरह से लालू प्रसाद यादव का पुत्र मोह महागठबंधन की सत्ता को ले डूबा। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार के मामले के सामने आने के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे की अपील की गई थी लेकिन लालू प्रसाद यादव ने यह बात नहीं मानी। इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी लालू यादव को मना नहीं पाए और उनकी जिद के आगे हार गए। ऐसे में उन्हें भाजपा से गठबंधन के फाॅर्मूले को अपनाना पड़ गया। सांसद शरद यादव सीएम नीतीश कुमार की बात से सहमत दिखाई दिए। मगर शरद यादव खेमे के दूसरे पार्टी नेताओं में नीतीश के फैसले को लेकर गहरी नाराजगी है। गुरूवार शाम शरद यादव के घर बैठक के बाद केरल इकाई के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा था कि उन्हें जेडीयू का बीजेपी के साथ गठबंधन मंजूर नहीं है। उन्होंने जेडीयू से रिश्ता खत्म करने और संसद सदस्यता से इस्तीफा देने तक की चेतावनी दी है वहीं अली अनवर और महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष और एमएलसी कपिल पाटिल भी नीतीश कुमार के इस फैसले से नाराज हैं। इस बात की संभावना जाहिर की जा रही थी कि इस राजनीतिक बदलाव से जेडीयू में फूट हो सकती है। फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस में बड़ी टूट, BJP में शामिल हो सकते कांग्रेस के 18 विधायक बिहार में आज नीतीश की अग्निपरीक्षा, 11 बजे सदन में बहुमत साबित करेंगे सारण और छपरा के DM पर RJD कार्यकर्ताओ ने किया हमला