वित्त मंत्री अरुण जेटली इस का अश्वासन दिया था कि नई वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी नियम में कर की दर सुनिश्चित करते समय ऐसा कोई फैसला नहीं लिया जाएगा जिससे किसी को कोई परेशानी हो। उन्होंने ये भी कहा था कि कर दरें मौजूदा नियम से ज्यादा अलग नहीं होंगी। लकिन जेटली ने ये कहा कि कंपनियों को जीएसटी के तहत करों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को स्थानांतरित करना चाहिए। क्योंकि जीएसटी से केंद्रीय और राज्य शुल्कों का जो मौजूदा प्रभाव खत्मम हो सकेगा। आपको बता दे कि वित्त मंत्री जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद की 18-19 मई को श्रीनगर में बैठक होगी। इस बैठक के दौरान विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर कर की दरों को अंतिम रुप पेश किया जाएगा। इससे पहले कम से कम 10 अप्रत्यक्ष करों का एकीकरण जीएसटी में किया जाएगा। भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि जीएसटी के संचालन के लिए सभी नियम और नियमन तैयार हो गए हैं। ये काम जिस फार्मूला के तहत किया जा रहा है उसके बारे में भी बताया जा चुका है। ऐसे में किसी को हैरान होने की जरूरत नहीं होगी। क्यों यह दर से बहुत ज्यादा अलग नहीं होगा। इसके अलावा जीएसटी परिषद केंद्रीय उत्पाद कर, सेवा कर और वैट जैसे शुल्कों के एकीकरण के बाद जीएसटी परिषद ने चार दरों 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत तय की हैं। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि इसका फिटमेंट मौजूदा कराधान केंद्रीय और राज्य शुल्कों के पूरे प्रभाव को शामिल करने के बाद किया जाएगा। उसके बाद किसी सेवा या वस्तु को उसकी सबसे नजदीकी कर के दायरे में रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की अभी तक 13 बैठकें हो चुकी हैं और अभी तक किसी मुद्दे पर मत विभाजन कराने की नौबत नहीं आई है। उनका कहना है कि ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राज्य जीएसटी ढांचे पर सहमत हुए हैं। जेटली के मुताबित परिषद की योजना है कि जीएसटी नियम के तहत निचली कर दरों की वजह से होने वाले लाभ का स्थानांतरण उपभोक्ताओं तक किया जाएगा। केंद्र सरकार ने दी EPF जमा दर पर 8.65 प्रतिशत ब्याज की मंजूरी आज अक्षय तृतीया पर सोना निवेश करने का सुनहरा मौका गिरावट के साथ ही बंद हुआ हफ्ते का कारोबार इलाहाबाद विवि के उग्र छात्रों ने मचाया उत्पात