नई दिल्ली : 500 और 1000 के नोटों को एक साथ बन्द करने से जनता को आ रही परेशानियों से आलोचना का शिकार बन रही सरकार का पक्ष दस दिन बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रखा. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि प्रचलन में जारी 86 प्रतिशत मुद्रा के स्थान पर नये नोट जारी करने का काम इससे बेहतर ढंग से नहीं हो सकता था. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार के इस कदम से बैंकों को व्यावसायियों, व्यापारियों, कृषि और ढांचागत परियोजनाओं के लिये सस्ती दरों पर कर्ज देने में मदद मिलेगी, जबकि इसके साथ ही नकली नोटों की समानांतर व्यवस्था पर भी अंकुश लगेगा. नोटों को बदलवाने में जनता को हो रही परेशानी पर जेटली बोले जहां तक इसके क्रियान्वयन की बात है, मुझे नहीं लगता कि जैसा अभी इसे किया गया है इससे बेहतर ढंग से इसे किया जा सकता था. वित्त मंत्री ने कहा कि जब भी मुद्रा में परिवर्तन होता है शुरुआती तकलीफ होती है, लेकिन देश में ऐसी कोई बड़ी घटना नहीं हुई और हर दिन बीतने के साथ यह धीरे-धीरे बड़ी आसानी से आगे बढ़ रही है. बैंकों के सामने लाइनें छोटी होती जा रही हैं. जेटली ने कहा अगले एक से दो सप्ताह में मुद्रा देश के ग्रामीण इलाकों तक पहुँचाना होगी क्योंकि वहाँ इसकी काफी जरूरत है. हाल ही में यह दुनिया में संभवत: सबसे बड़ा मुद्रा बदलाव हुआ है. वित्तमंत्री जेटली ने आश्वस्त किया कि देश के दुकानदारों, व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं को यह महसूस होगा कि औपचारिक ढंग से आधिकारिक कारोबार करना अनौपचारिक तरीके की समानांतर अर्थव्यवस्था के मुकाबले कहीं बेहतर है. लोकसभा में बेनामी ट्रांजैक्शन बिल पास, बेनाम सम्पति रखने वालो के लिए 7...