जेटली को पता था इन फैसलों पर घिरेगी सरकार, फिर भी लागू किया GST और नोटबंदी

नई दिल्ली: भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 24 अगस्त को देहांत हो गया. वे लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. मोदी सरकार में जेटली ने कई मौकों पर पार्टी को मुश्किलों से निकाला. मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में कई अहम् फैसले लिए, किन्तु इनमें दो कड़े  फैसले थे. पहला नोटबंदी और दूसरा जीएसटी. ये दोनों फैसले लेते समय अरुण जेटली वित्त मंत्री थे. जेटली को मालूम था कि नोटबंदी और जीएसटी का असर तुरंत आम आदमी पर होगा. लोगों को कुछ दिनों के लिए परेशानी होगी. विपक्ष इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाएगा. 

सबसे खास बात यह है कि 2014-19 तक सरकार में अरुण जेटली, पीएम मोदी के सबसे विश्वसनीय थे. इस बीच नोटबंदी और GST को लेकर अंतिम फैसला लेना सरल नहीं था. किन्तु अरुण जेटली ने साहस दिखाया. पहले नोटबंदी हुई और फिर जीएसटी को अंतिम रूप दिया गया. पीएम मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को जैसे ही नोटबंदी की घोषणा की, देश में एक अलग माहौल बन गया. सरकार ने सख्त फैसले लेते हुए 1000 और 500 रु. की करेंसी को बैन कर दिया था. नोटबंदी के पीछे कालेधन पर अंकुश और नकली करेंसी का खेल खत्म करना था. कहते हैं कि नोटबंदी का रोडमैप तैयार करने में वित्त मंत्री अरुण जेटली की बड़ी भूमिका थी. 

एक तरह नोटबंदी से आम लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही थीं, दूसरी तरह विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में लगा हुआ था. शुरुआत में लोगों को नोट बदलने में समस्या भी आ रही थीं. क्योंकि पीएम मोदी की घोषणा के ठीक बाद ATM के बाहर लंबी-लंबी कतारें नजर आने लगी थीं.  नोटबंदी के बाद कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष हमलावर हो गया तो फिर एक बार अरुण जेटली मोदी सरकार के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ ही ब्लॉग के जरिए विरोधियों को करारा जवाब दिया. नोटबंदी फैसले का बचाव करते हुए जेटली ने कहा कि इसका उद्देश्य नकदी को जब्त करना नहीं था, बल्कि उसे बैंकों के रास्ते औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाना था. 

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