भारतीय संस्कृति और भाषा विज्ञान में अपना अमूल्य योगदान देने वाले 65 वर्षीय अरविंद पनगरिया का जन्म 30 सितंबर 1952 में भारत में ही हुआ था। पनगरिया मुख्य रूप से एक भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं और वर्तमान समय में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्हें भारतीय पुरूस्कार पदृमभूषण से भी नवाजा जा चुका है। 2019 चुनाव: क्रूड बढ़ाएगा मोदी सरकार की मुश्किलें, आम आदमी भी झेलेगा महंगाई की मार भारत में अरविंद पनगरिया ने जनवरी 2015 और अगस्त 2017 के बीच भारत थिंक टैंक एनआईटीआई अयोध सरकार के उपाध्यक्ष के रूप में अपना कार्य किया है और वे भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली नीति आयोग के एक उपाध्यक्ष भी हैं। अरविंद पनगरिया एशियाई विकास बैंक में पहले मुख्य अर्थशास्त्री थे। उन्होंने विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए भी काम किया है। उन्होंने प्रिंसटन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है। आज कई मामलों पर फैसले देगी सर्वोच्च न्यायालय साल 2018 तक अरविंद पनगरिया ने करीब 15 से अधिक किताबें लिखी हैं, जिसमें भारत द इमर्जिंग जायंट, मार्च 2008 में प्रकाशित हुई थी। इसे फरीद जकरिया द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर केंद्रित पुस्तक के रूप में वर्णित किया गया था। वहीं 5 जनवरी 2015 को उन्हें योजना आयोग के प्रतिस्थापन भारत आयोग को बदलने के लिए राष्ट्रीय संस्थान के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। पनगरिया जी ने सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 के डेटा का विश्लेषण किया है। फिलहाल उन्होंने राष्ट्र आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया है। खबरें और भी 2019 चुनाव: क्रूड बढ़ाएगा मोदी सरकार की मुश्किलें, आम आदमी भी झेलेगा महंगाई की मार भारत सरकार बदलेगी पुरानी प्रवासन नीति, हो सकते हैं बड़े बदलाव गूगल ट्विटर और फेसबुक का ऐलान, भारतीय चुनाव पर नज़र रखेगा सोशल मीडिया