नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अपने विवादित बयानों के चलते अक्सर सुर्ख़ियों में बने रहते हैं। अब ओवैसी का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें हैदराबाद के लोकसभा संसद ओवैसी ने दावा करते हुए कहा है कि इस्लाम ने भारत को लोकतंत्र का तोहफा दिया। इस वीडियो को न्यूज 24 ने अपने हैंडल पर शेयर किया था, जिसे असदुद्दीन ओवैसी ने भी रीट्वीट किया है। वीडियो में वह इस्लाम पर भाषण देते दिखाई दे रहे हैं। अपने भाषण में ओवैसी ने कुछ किताबों का हवाला देते हुए दावा किया कि, 'इस देश में आए अंतिम 3 काफिले इस्लाम से थे। जो यहाँ आकर बस गए। जिस तरह गंगा और यमुना का उद्गम अलग-अलग स्थानों से होता है, मगर प्रकृति के नियम के कारण जब वे मिलती हैं, तो उसे संगम कहा जाता है। हम अपना खजाना लेकर यहाँ आए। हमने अपने बंद दरवाजे खोल दिए और हमने सब कुछ दे दिया, और इस देश को इस्लाम ने जो सबसे अनुपम उपहार दिया, वह लोकतंत्र का उपहार था।' ओवैसी के इस दावे को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिकिया देखने को मिल रहीं हैं। लोग ओवैसी से सवाल कर रहे हैं कि अगर इस्लाम ने ही हिंदुस्तान को लोकतंत्र दिया तो फिर दुनियाभर के मुस्लिम देशों में लोकतंत्र क्यों नहीं है ? विजय ने कमेंट करते हुए लिखा कि, 'फिर पाकिस्तान और बंगलादेश में क्यों नही दिया। जहां मायनॉरिटी है वहाँ उनको लोकतंत्र चाहिए और जहाँ मेज़ोंरिटी है वहाँ सरिया।' डॉ नारायण रुपाणी ने लिखा कि, 'लोकतंत्र से इस्लाम को कोई रिश्ता नहीं ! क्या मिला है भारत को : मज़हब के नाम पर हिंसा, सर तन से जुदा, -कितनी गर्दनें कट चुकी हैं ? रिज़वी / त्यागी को क़त्ल के लिए 50 लाख की सुपारी ! कमलेश तिवारी की हत्या, बैंगलोर में आगज़नी, मुंबई में आगजनी, धार्मिक आतंकवाद का माहोल !!' महेंद्र कुमार सिंह ने अपने कमेंट में लिखा कि, 'इस्लाम ने इस्लामी देशों में लोकतंत्र का तोहफा क्यों नहीं दिया? सभी मुस्लिम देश जैसे लेबनान, इराक, ईरान, सऊदी अरब, ओमान, कतर और तमाम देश आज भी तानाशाही और अधिनायकतंत्र (तानाशाही) की जंजीरों में जकड़े हुए हैं और वे कभी आजाद नहीं होंगे। इस्लाम ने कंजूसी क्यों की?' श्यामनाथ ने लिखा कि, 'फिर ये पठान अफगानिस्तान छोड़कर क्यो भागे सीरिया लीबिया लेबनान अफगानिस्तान पाकिस्तान ईरान इराक ये सब देश मे लोकतंत्र है क्या, भारत मे हिन्दुओ की संख्या ज्यादा है इसलिए लोकतंत्र मजबूत है। बगल मे पाकिस्तान है जो इस्लाम के नाम पर विभाजन से बना, आज एक रोटी के लिए तरस रहे है।' बृजेश बर्थवाल ने लिखा कि, 'लोकतंत्र अर्थात नर/नारी में समानता। शरीयत और कुरान में विवाह अनुबंध मात्र है। बच्चे भी ठेके से पैदा हुए। स्त्रियों का संपत्ति व सिविल मेटर में गौण भूमिका है। इस्लामिक देशों में लोकतंत्र नहीं है। रोजाना नया शिगूफा। मुसलमान ने पाकिस्तान को वोट दिया 1946 में। भारत में रह गए।' एक अन्य यूज़र ने लिखा कि, 'भाई काम की बात करो ना..इस्लाम के ठेकेदार हो..जब देखो मुस्लिम, इस्लाम में सब में पड़े रहते हैं..पूरे देश का माहौल ख़राब कर रखा है. संविधान के हिसाब से काम करो, सब को झूठे प्रवचन दे कर घर जाते हो, बांकी पूरा मुस्लिम भुगत ता है।' जीतेन्द्र चौरसिया ने लिखा कि, 'लोकतन्त्र को मुसलमानों नें नहीं संविधान ने दिया है, 57 मुस्लिम देश के आधिकांश देशों में आज भी राजतन्त्र है या सैनिक शासन है, ईरान, सउदी अरब, पाकिस्तान इसके उदाहरण हैं, लोकतन्त्र की शुरुआत दुनिया में भारत में लगभग 3-4BC के आस पास अवन्ति राज्य में था।' चन्दन ने लिखा कि, 'भारत ने मुस्लिमो को बिना लड़ाई जहाज के रहना सिखाया है, नहीं तो इतिहास उठा के देख लो, पड़ोसो से लड़ते रहते हो, अपना ताकत दिखाने के लिए।' अमित ने लिखा कि, 'मुगल बादशाह को जो औरत पसंद आती थी, उसके पति को उसको तलाक देना पडता था और वो औरत बादशाह के हरम भेज दी जाती। वाह रे लोकतंत्र। जोक मत किया करो।' Fact Check: छपरा में नहीं फंसा गंगा विलास क्रूज़, फिर अखिलेश यादव ने क्यों फैलाया झूठ ? Fact Check: जय श्री राम न कहने पर असीम को ट्रेन में बेल्ट से पीटा, दाढ़ी पकड़कर हिलाई अजमेर सेक्स कांड: 100 से अधिक लड़कियों का बलात्कार और 31 साल बाद खूनी बदला