इस साल आषाढ़ मास का आशा दशमी पर्व (Asha Dashmi 2022) 9 जुलाई 2022, दिन शनिवार को मनाया जाने वाला है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यह व्रत जीवन की सभी आशाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। जी हाँ और इस व्रत का प्रारंभ महाभारत काल से माना जाता है और इसका महत्व भगवान श्री कृष्ण ने पार्थ को बताया था। कहा जाता है आशा दशमी व्रत को आरोग्य व्रत भी कहा जाता है क्योंकि इस व्रत के प्रभाव से शरीर हमेशा निरोगी तथा मन शुद्ध रहता है। केवल यही नहीं बल्कि इसी के साथ ही पीड़ित व्यक्ति को असाध्य रोगों से मुक्ति भी मिलती है। आज हम आपको बताते हैं इसकी पूजा विधि। पूजा विधि- आशा दशमी व्रत 6 महीने, 1 वर्ष अथवा 2 वर्षों त‍क करना चाहिए। कहा जाता है दशमी तिथि के दिन प्रात: नित्य कर्म, स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और देवताओं तथा माता पार्वती का पूजन करें। उसके बाद ध्यान रहे कि इस व्रत को करने वाले हर मनुष्‍य को आंगन में दसों दिशाओं के चित्रों की पूजा करनी चाहिए। जी दरअसल दसों दिशाओं के अधिपतियों की प्रतिमा, उनके वाहन तथा अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित कर दस दिशा देवियों के रूप में मानकर पूजन करना चाहिए। इसके पश्‍चात निम्न प्रार्थना करती चाहिए। 'आशाश्चाशा: सदा सन्तु सिद्ध्यन्तां में मनोरथा:। भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति।।' इसका अर्थ है- 'हे आशा देवियों, मेरी सारी आशाएं, सारी उम्मीदें सदा सफल हों। मेरे मनोरथ पूर्ण हों, मेरा सदा कल्याण हो, ऐसा आशीष दें।' कहा जाता है दसों दिशाओं में घी के दीपक जलाकर धूप, दीप और फल आदि समर्पित करना चाहिए। जी हाँ और इसी तरह रात्रि के समय पुन: शुद्ध होकर पुष्प, अलक तथा चंदन आदि से- ऐन्द्री, आग्रेयी, याम्या, नैऋति, वारुणी, वाल्व्या, सौम्या, ऐशनी, अध्: तथा ब्राह्मी इन 10 आशा देवियों का पूजन करें। उसके बाद ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद प्रसाद स्वयं ग्रहण करना चहिए। ठीक ऐसे ही तब तक हर महीने इस व्रत को करना चाहिए। जब तक आपकी मनोकामना पूर्ण न हो जाए। मंत्र- - ॐ पार्वत्यै नम:, - ॐ जगद्धात्र्यै नम:, - ॐ उमायै नम:, - ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नम:, - ॐ शिवायै नम: 9 जुलाई को है गौरी व्रत, जानिए पूजा विधि अगर कुंडली में है गुरु दोष तो गुरु पूर्णिमा पर करें यह उपाय इस साल कब है जन्माष्टमी, जानिए सही तिथि और शुभ मुहूर्त