हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल का सातवां महीना आश्विन मास कहलाता है। जी हाँ और देव और पितृ पूजन के हिसाब से ये महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको बता दें कि आश्विन मास मां दुर्गा को समर्पित महीना है और कहा जाता है इस महीने से सूर्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं और उसके बाद शनि और तमस का प्रभाव बढ़ता जाता है। केवल यही नहीं बल्कि इस महीने भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। आपको बता दें कि इस बार आश्विन का महीना रविवार, 11 सितंबर से रविवार, 09 अक्टूबर तक रहने वाला है। इस महीने कुछ विशेष सावधानी बरतना जरूरी बताया गया है। आज हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं। इस महीने में किन देवी-देवताओं की पूजा होती है?- आश्विन मास दो भागों में बंटा हुआ है। जी हाँ और कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है। इसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। वहीं दूसरा शुक्ल पक्ष होता है, जिसमें नवरात्रि के व्रत रखे जाते हैं। इसको शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। कहते हैं इस माह में पूर्वजों का आशीर्वाद और देवी की कृपा दोनों मिल जाते हैं। इसके अलावा पितरों के आशीर्वाद से जीवन में चल रही समस्याएं दूर होती हैं और मां दुर्गा के आशीर्वाद से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि इस बार आश्विन मास में पितृपक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक रहेंगे। जबकि शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 04 अक्टूबर को समाप्त होंगे। आश्विन मास में किन बातों का रखें ख्याल?- आश्विन मास में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इस महीने दूध का प्रयोग वर्जित है। इस वजह से जहां तक संभव हो इसका इस्तेमाल न करें और करेला खाने से बचें। इस माह में शरीर को ढक कर रखें। इसके अलावा आश्विन में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, चना आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इसी के साथ प्याज-लहसुन या तामसिक भोजन की जगह सात्विक खाने पर जोर देना चाहिए। मांस या मदिरा पान से भी परहेज करें। पितरों को करना है प्रसन्न तो श्राद्ध पक्ष में करें ये काम घर में पूर्वजों की लगी तस्वीर कर सकती है आपको बर्बाद, रखे इन बातों का ध्यान पितृ पक्ष के दौरान भूल से भी ना करें इन चीजों का सेवन वरना नाराज हो जाएंगे पितर