पूरी: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) से ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के मंदिर का 'भीतर रत्न भंडार' खोलने का अनुरोध किया है। ASI के अधीक्षण पुरातत्वविद् ने SJTA के मुख्य प्रशासक को लिखे गए पत्र में कहा कि रत्न भंडार (कोषागार) के आंतरिक कक्ष को इसकी स्थिति और संरचना पर जलवायु के किसी भी संभावित प्रभाव का निरीक्षण करने के लिए खोला जाना चाहिए। ASI ने सूबे के कानून विभाग और पुरातात्विक अनुसंधान एवं देश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए जिम्मेदार प्रमुख संगठन के महानिदेशक को भी इस पत्र की कॉपी भेजी हैं। ASI का यह पत्र मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख गजपति महाराज दिव्यसिंह देब द्वारा 'रत्न भंडार' को खोलने का अनुरोध किए जाने के बाद आया है। मंदिर प्रबंधन समिति ने 6 जुलाई को हुई अपनी मीटिंग में रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष को खोलने का मुद्दा भी उठाया था। जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में कम से कम दो कक्ष हैं। मंदिर सूत्रों के अनुसार, 'बाहर भंडार' में देवी-देवताओं द्वारा हर दिन धारण किए जाने वाले आभूषण रखे जाते हैं, जबकि 'भीतर भंडार' में अन्य जेवरात सहेजे गए हैं। उड़ीसा हाई कोर्ट के निर्देश पर अप्रैल 2018 में 'रत्न भंडार' के भीतरी कक्ष को खोलने की कोशिश की गई थी, किन्तु, चाबी न मिलने की वजह से इसमें सफलता हासिल नहीं हो सकी थी। लिहाजा ASI, अधिकारियों, पुजारियों व अन्य लोगों की एक टीम ने बाहर से ही रत्न भंडार का निरीक्षण किया था।' इससे पहले, भगवान जगन्नाथ मंदिर का 'रत्न भंडार' 1978 और 1982 में खोला गया था। तिरंगा फहराते नजर आए मोहन भागवत, RSS ने वीडियो साझा कर की ये अपील CRPF के जवानों ने हर घर तिरंगा अभियान में लिया भाग, श्रीनगर में निकाली बाइक रैली घर पर फहराने जा रहे हैं राष्ट्रिय ध्वज तो इन बातों का रखे खास ध्यान