वाराणसी: अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने बुधवार (9 अगस्त) को विवादित ज्ञानवापी परिसर में जारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वेक्षण को 'तुरंत रोकने' के लिए जिला न्यायाधीश की अदालत के समक्ष एक नया आवेदन दायर किया। विशेष रूप से, यह वही समिति है जो वाराणसी में ज्ञानवापी स्थल पर विवादित मस्जिद का प्रबंधन करती है। समिति ने अपने आवेदन में कहा है कि ASI सर्वेक्षण के लिए वाराणसी कोर्ट का 21 जुलाई का आदेश विवादित स्थल पर श्रृंगार गौरी की पूजा करने के लिए 4 वादी पक्ष द्वारा दायर मुकदमे में दिया गया था। समिति ने दावा किया है कि वादी सामान्य नागरिक नियम के नियम 70 के अनुसार ASI सर्वेक्षण के दौरान हुए खर्चों को वहन करने के लिए धन जमा करने में नाकाम रहे। इसके बाद, अनुमान इंतजामिया कमिटी ने ASI सर्वेक्षण को तुरंत रोकने के लिए कोर्ट से निर्देश मांगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने अपने आवेदन में आगे दावा किया है कि प्राधिकरण ने ASI सर्वेक्षण के बारे में कोई लिखित या मौखिक जानकारी नहीं दी है और उन्होंने इसके लिए कोई समय भी निर्धारित नहीं किया है। आवेदन के अनुसार, ASI उचित प्रक्रिया के बिना सर्वेक्षण कर रहा है और इसलिए, वह प्रार्थना करता है कि सर्वेक्षण रोक दिया जाए। अब मामले में बहस कर रहे हिंदू पक्ष को 17 अगस्त तक इस अर्जी पर अपना जवाब/आपत्ति दाखिल करनी है। इससे पहले बुधवार (9 अगस्त) को ASI ने लगातार छठे दिन ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय द्वारा आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका खारिज करने के बाद, ASI 21 जुलाई के वाराणसी जिला न्यायाधीश के आदेश के अनुसार सर्वेक्षण कर रहा है। ASI को यह निर्धारित करने का काम सौंपा गया है कि क्या 'मस्जिद' के रूप में दावा किया गया विवादित ढांचा किसी हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना के ऊपर बनाया गया था। जारी ASI सर्वेक्षण के दौरान, हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि सर्वेक्षण टीमों ने मंदिर वास्तुकला से संबंधित उनकी कल्पना से कहीं अधिक प्रतीक बरामद किए हैं। हिंदू पक्ष के दावों के अनुसार, ASI टीम को 5 अगस्त को 2 फीट का त्रिशूल, 5 कलश और 4 फीट लंबी खंडित मूर्ति जैसी कलाकृतियां मिलीं हैं। ज्ञानवापी सर्वे की मीडिया कवरिंग पर रोक :- बता दें कि, इसी बीच, 9 अगस्त को, वाराणसी कोर्ट ने एक आदेश पारित कर मीडिया को ज्ञानवापी परिसर में चल रहे ASI सर्वेक्षण को मौके से कवर करने पर प्रतिबंध लगा दिया। अदालत ने सर्वेक्षण टीम के सदस्यों को किसी भी मीडिया आउटलेट को टिप्पणी नहीं देने का भी निर्देश दिया है। जिला न्यायाधीश एके विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी प्रबंधन समिति द्वारा दायर याचिका के जवाब में यह फैसला सुनाया, जिसमें ASI सर्वेक्षण के मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान मौजूद हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि, 'कोर्ट ने मीडिया को मौके से घटना की रिपोर्टिंग न करने का आदेश दिया है। सर्वे टीम के सदस्यों को भी मीडिया में टिप्पणी नहीं देनी चाहिए। अदालत ने आगे सलाह दी कि इस मुद्दे पर ऐसी रिपोर्टें जिससे शांति भंग हो सकती है, सोशल मीडिया पर नहीं डाली जानी चाहिए।' क्या है पूरा मामला:- बता दें कि, विवादित परिसर पर हिन्दू पक्ष अपना दावा करता रहा है, हिन्दू पक्ष की दलील है कि औरंगज़ेब ने काशी विश्वनाथ का मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवा दी थी और ये उनके लिए आस्था का बेहद महत्वपूर्ण केंद्र होने के कारण उन्हें सौंपा जाना चाहिए। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध करता है। हिन्दू पक्ष ने कोर्ट का रुख किया, तो अदालत ने सच्चाई का पता लगाने के लिए सर्वे का आदेश दिया, इसका भी मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया। हालाँकि, तमाम जद्दोजहद के बाद सर्वे हुआ और ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग नुमा आकृति मिली, तो मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा बताने लगा। अब वो शिवलिंग है या फव्वारा ? यह जानने के लिए जब कार्बन डेटिंग की मांग की गई, तो मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट जाकर उसे रुकवा दिया। इससे यह सवाल उठ रहा है कि, आखिर मुस्लिम पक्ष सच्चाई सामने क्यों नहीं आने देना चाहता ? क्या वो जानता है कि, वो आकृति शिवलिंग ही है, मगर देना नहीं चाहता ? क्योंकि, इतिहासकार इरफ़ान हबीब भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि, औरंगज़ेब ने ही काशी, मथुरा के मंदिर तोड़े थे और उसी मलबे से वहीं मस्जिदें बनवा दी थी। उन्होंने बताया कि इतिहास की तारीख में मंदिर तोड़ने की तारीख तक दर्ज है। अब वाराणसी कोर्ट ने वापस उस पूरे परिसर के सर्वे का आदेश दिया है, ऐसे में यह देखने लायक होगा कि ASI के सर्वे में क्या-क्या तथ्य निकलकर सामने आते हैं। हालाँकि, मीडिया को ज्ञानवापी सर्वे में मिली किसी भी आकृति, प्रतिमा, चिन्ह आदि दिखाने पर रोक लगाई जा चुकी है। इस्लाम के खिलाफ इंस्टाग्राम पर विवादित पोस्ट ने रतलाम में मचाया बवाल, जानिए पूरा मामला RBI ने 6.5% पर बरक़रार रखा रेपो रेट, न EMI बढ़ेगी और न महंगे होंगे लोन 'राहुल ने प्यार भरा इशारा किया था, आपको क्या दिक्कत..', फ्लाइंग किस विवाद पर बोलीं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी