टोक्यो ओलंपिक एक साल आगे बढ़ने का नुकसान भारतीय पहलवान रवि कुमार (57 किग्रा) को भी हुआ है. एशियाई चैंपियन रवि इस वक्त जबरदस्त फॉर्म में थे और ओलंपिक खत्म होते ही 57 किग्रा भार वर्ग को छोड़ इससे ज्यादा वजन में जाने वाले थे. लंबाई के चलते उन्हें इस भार वर्ग में दिक्कत हो रही है. उन्हें कंपटीशन से पहले चार किलो तक वजन कम करना पड़ता है. इसके चलते उन्होंने ओलंपिक के बाद वजन बदलने की ठान रखी थी. अब उन्हें योजनाएं बदलनी पड़ रही हैं. वह मानते हैं कि यह दिक्कत वाली बात है, लेकिन इसके अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है. अगले डेढ़ साल तक 57 किलो वजन बनाकर रखना चुनौती है. मीठा छोड़ेंगे, खाने पर रखेंगे काबू: रवि साफ करते हैं कुश्ती में लंबाई का उन्हें फायदा मिलता है, पर इसके चलते वजन कम करने में परेशानी भी होती है. ओलंपिक तक उन्हें न सिर्फ अपने खाने पर नियंत्रण रखना होगा बल्कि मीठे का भी त्याग करना होगा. वजन कम करना पहलवान के जीवन का हिस्सा है. इस कष्टकारी प्रक्रिया से हर किसी को दो-चार होना पड़ता है. ओलंपिक अगर समय से होता तो उनकेअच्छे अवसर थे. फिलहाल वह छत्रसाल स्टेडियम में हैं और थोड़ी बहुत प्रैक्टिस कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि अगले साल ओलंपिक के लिए भी वह फॉर्म हासिल कर लेंगे. वजन घटाने में आती है दिक्कत: 24 वर्षीय रवि की लंबाई अभी बढ़ रही है. उनकी लंबाई 170 सेंटीमीटर से अधिक है. फ्रीस्टाइल टीम के चीफ कोच जगमिंदर का मानना है पहलवान लंबा हो और उसका शरीर भरा हो तो उसे वजन कम करने में दिक्कत नहीं होती है, लेकिन कम वजन के लंबे पहलवान का शरीर भरा नहीं होता है. ऐसे में उसे वजन कम करने में काफी दिक्कत होती है. रवि के साथ भी यही है. कोच मानते हैं कि रवि डेढ़ साल तक वजन कायम रखने में कठोर परिश्रम करना होगा. कोरोना के डर से इस खिलाड़ी को सत्ता रही अपने माँ- बाप की याद इंग्लैंड के इस फुटबॉल प्लेयर को निकला कोरोना, हॉस्पिटल में भर्ती VIDEO: लॉक डाउन के बीच कभी बाथरूम तो कभी कपड़ों की धुलाई करते नज़र आए शिखर धवन