'किसी की जाति पूछना उसे गाली देने जैसा, लेकिन हम जातिगत जनगणना कराएंगे..', कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह के विरोधाभासी बयान

अमृतसर: भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में भाषण के दौरान जाति संबंधी टिप्पणी ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं को हैरान कर दिया है। मंगलवार, 30 जुलाई को विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अगुवाई में जाति जनगणना की मांग पर बहस के दौरान भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि जिनकी खुद की जाति नहीं पता, वे जनगणना की मांग कर रहे हैं। भाजपा सांसद की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने मीडिया से बात करते हुए इस पर जवाब दिया, लेकिन मात्र 55 सेकंड में ही जाति के मुद्दे पर उनके दो विपरीत बयानों ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी। 

'किसी व्यक्ति की जाति पूछना, उसे गाली देने जैसा है', कहने के कुछ ही देर बाद गुरजीत सिंह औजला ने आगे कहा कि पार्टी जाति जनगणना कराएगी, यानी जाति पूछेगी। गुरजीत सिंह ने कहा कि, अनुराग ठाकुर जैसा का व्यवहार कर रहे हैं, वह सभ्य नहीं है। क्या किसी की जाति पूछना सही है? मानस की जात सभे एके पहचान, उन्हें इससे सीख लेनी चाहिए। वह वहां बैठकर अपने आकाओं को खुश करने के लिए (राहुल को) गाली देते हैं, यह सही नहीं है। यह संसद है।

 

कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि, विपक्ष का काम मुद्दे उठाना है और सत्ता पक्ष का काम उनका जवाब देना है, गाली देना नहीं। जाति जनगणना पर सवाल किए जाने पर गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि, हम इसे (संसद में) पारित कराने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। यह विवाद अनुराग ठाकुर द्वारा जाति जनगणना पर टिप्पणी करने के बाद शुरू हुआ। मंगलवार को लोकसभा में भाषण देते हुए अनुराग ठाकुर ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि, 'जिनकी जाति नहीं पता, वे जाति जनगणना की बात करते हैं। मैं अध्यक्ष को याद दिलाना चाहता हूं कि इसी सदन में पूर्व प्रधानमंत्री RG-1 (राजीव गांधी) ने OBC के लिए आरक्षण का विरोध किया था।' 

इस दौरान अनुराग ठाकुर ने ये भी कहा था कि, जिनकी जाति नहीं पता, वे जनगणना की बात कर रहे हैं, जिनके पूर्वज खुद जाति जनगणना को नकार चुके हैं।  ठाकुर पर तीखा पलटवार करते हुए, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि, अनुराग ठाकुर ने मुझे गाली दी है, मेरी बेइज्जती की है। 

आखिर जातिगत जनगणना पर विपक्ष का इतना जोर क्यों ? 

सियासी पंडितों का मानना है कि, कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का ये प्लान, भाजपा के हिन्दू वोटों में सेंध मारने का है, क्योंकि SC/ST को हिन्दू समुदाय से अलग करने में पार्टी काफी हद तक सफल रही है। अब उसकी नज़र OBC वोट बैंक पर है, जिनकी तादाद भी अधिक है और यदि उनमे से आधे भी जातिगत जनगणना के मुद्दे पर आकर्षित होकर कांग्रेस की तरफ हो जाते हैं, तो सत्ता का रास्ता आसान है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय तो कांग्रेस का कोर वोट बैंक है ही। ऐसे में जाति जनगणना का मुद्दा कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकता है और भाजपा के हिन्दू वोट बैंक में सेंधमारी करने में पार्टी कामयाब हो सकती है। सियासी जानकारों का कहना है कि, कांग्रेस ये अच्छी तरह से जानती है कि, जब तक हिन्दू समुदाय बड़ी तादाद में भाजपा को वोट दे रहा है, तब तक उसे हराना मुश्किल है, जातिगत जनगणना इसी की काट है। जिससे हिन्दू वोट बैंक को जातियों में विभाजित कर उसे मैनेज करना आसान हो जाएगा। इस लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल इसे भुनाने में कामयाब भी रहे हैं। आरक्षण ख़त्म कर देंगे, संविधान बदल देंगे, जैसे गैर-विश्वासी मुद्दों ने विपक्ष को अच्छा लाभ पहुंचाया है, इसके साथ ही इसमें जातिगत राजनीति भी कारगर रही है। 

बता दें कि, कांग्रेस अब तक अल्पसंख्यकों की राजनीति करते आई थी, अल्पसंख्यकों के लिए अलग मंत्रालय, अल्पसंख्यकों के लिए तरह-तरह की योजनाएं, यहाँ तक कि दंगा नियंत्रण कानून (PCTV बिल) जो कांग्रेस लाने में नाकाम रही, उसमे भी अल्पसंख्यकों को दंगों में पूरी छूट थी। उस कानून में प्रावधान ये था कि, दंगा होने पर बहुसंख्यक ही दोषी माने जाएंगे। तत्कालीन सरकार का कहना था कि, चूँकि अल्पसंख्यक तादाद में कम हैं, इसलिए वे हिंसा नहीं कर सकते। हालाँकि, भाजपा के कड़े विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो सका था। अब कांग्रेस की राजनीति जो अल्पसंख्यकों की तरफ से थोड़ी सी बहुसंख्यकों की शिफ्ट होती नज़र आ रही है, तो इसके पीछे कई सियासी मायने और छिपे हुए राजनितिक लाभ हैं। हालाँकि, ऐसा नहीं है कि, कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को पूरी तरह छोड़ ही दिया है, कांग्रेस शासित राज्यों में अब भी अल्पसंख्यकों के लिए काफी योजनाएं चल रहीं हैं, लेकिन अकेले उनके वोटों से सत्ता का रास्ता तय नहीं हो सकता, इसके लिए बहुसंख्यकों के वोटों की भी जरूरत होगी, जिसे SC/ST और OBC के रूप में विभाजित कर अपने पाले में करने की कोशिशें की जा रही हैं। वहीं, इस मुद्दे पर लोगों की जातियां नहीं, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति पूछी जानी चाहिए, ताकि सभी वर्गों के गरीबों के लिए योजनाएं बनाई जा सकें, जातिगत जनगणना से समाज में विभाजन बढ़ेगा। 

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