नई दिल्लीः आज यानि सोमवार को उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर मतदान शुरू हो गया है। उपचुनाव में 109 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं। 2307 मतदान केन्द्रों के 4529 मतदान बूथों पर 41 लाख 8 हजार 328 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। उत्तर प्रदेश में चतुष्कोणीय मुकाबले की संभावना है क्योंकि भाजपा, बसपा, सपा और कांग्रेस ने सभी 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। पूर्व में इन सीटों में से आठ सीटें भाजपा और एक सीट भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के पास थीं। धर्मशाला और पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए आज वोट डाले जाएंगे। दो विस क्षेत्रों में 202 मतदान केंद्रों पर सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक मतदान होगा। कुल 1 लाख 56 हजार 624 वोटर ईवीएम का बटन दबाकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। 31 संवेदनशील और अतिसंवेदनशील बूथों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ देश के 18 राज्यों की 51 विधानसभा सीटों और दो लोकसभा सीटों के लिए आज मतदान शुरू हो चुका है। मतदान शाम पांच बजे तक होगा। भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास इनमें से करीब 30 सीटें हैं जबकि कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं और बाकी क्षेत्रीय दलों के पास गई थीं। इनमें भाजपा शासित उत्तर प्रदेश की 11 सीटों, गुजरात की छह सीटों, बिहार की पांच, असम की चार, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु की दो-दो ,पंजाब की चार सीटें, केरल की पांच, सिक्किम की तीन, राजस्थान की दो और अरूणाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, मेघालय और तेलंगाना की एक-एक विधानसभा सीटें शामिल हैं। महाराष्ट्र की सतारा और बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट के लिए भी उपचुनाव आज ही होगा। सतारा में एनसीपी के पूर्व नेता और मौजूदा सांसद उदयनराजे भोसले बीजेपी के टिकट पर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के श्रीनिवास पाटिल के खिलाफ मैदान में हैं। समस्तीपुर (बिहार) लोकसभा सीट केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के छोटे भाई रामचंद्र पासवान के निधन के बाद खाली हुई है। एनडीए की तरफ से लोजपा ने यहां से रामचंद्र के बेटे प्रिंस राज को टिकट दिया है। विधानसभा चुनाव: महाराष्ट्र और हरियाणा में मतदान जारी, पीएम मोदी ने वोटरों से की मतदान की अपील अपने ही घर में बुरी तरह घिरे पाक पीएम, क्या गिर जाएगी इमरान खान सरकार ? सोनिया गाँधी को खुश करना चाहते हैं सिद्धारमैया, इसिलए कर रहे वीर सावरकर की आलोचना- ईश्वरप्पा