हिंदू मान्यताओं में नया काम प्रारंभ करने से पहले पूजन का विधान है। ऐसे में भगवान श्री गणेश की आराधना की जाती है। जब व्यक्ति अपना नया काम प्रारंभ करता है, तो उसे यही उम्मीद होती है, कि उसके कार्य में ईश्वर उसके साथ रहे। ऐसे में वह पूजन अर्चन कर अपने नए काम की शुरूआत करता है। उस समय सभी देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है। मकान में प्रवेश से पूर्व कलश स्थापना और वास्तु स्थापना की जाती है। यदि आपको कोई भी नया काम करना हो तो उसके लिए आप सबसे पहले अक्षत लें, उसमें कुमकुम मिलाऐं और फिर उसे उस पटे के नीचे बिखेर दें, जिसपर भगवान की स्थापना करना हो। यही नहीं उस पटे पर एक साफ वस्त्र रखकर उस पर गेहूं के छोटे पर्वत बना लें, फिर सुपारी रखकर नवग्रह और विभिन्न देवी देवताओं के तौर पर सुपारियों की स्थापना करें। अब उसी पटे पर एक ओर लोटे में शुद्ध जलभरकर आम के पत्ते रखें और उसे एक थाल से ढंक लें। इस थाल पर आप अक्षत रखकर वस्त्र बिछाकर भगवान सत्यनारायण को रख सकते हैं और उनका पूजन कर सकते हैं। पटे पर सबसे प्रमुखता से श्री गणेश जी का पूजन करें और फिर सभी देवी देवताओं का पूजन करें। पूजन के लिए आप मुहूर्त दिखवा लें तो अच्छा है। राहुकाल में पूजन निषेध माना जाता है। पूजन के लिए शुभ लाभ अमृत को अच्छा माना जाता है। पूजन के दौरान एक एक देवता का आह्वान कर उनके निमित्त रखी गई सामग्री केवल उन्हें ही अर्पित करें। पूजन के अंत में भोग लगाऐं और आरती करें। इसके बाद कपूर की आरती करें और सभी को आरती देकर आरती की थाल के साईड में पानी छोड़कर उसे ठंडा करें। साथ ही भगवान से सुख समृद्धि की कामना करें। भगवान राम अगर यह काम नहीं करते तो टूट जाता कालचक्र इंदौर में स्थापित है 'ऊँ' आकार के गणेशजी की प्रतिमा ये आसन जो करता है भगवान सूर्य को साक्षात नमन घी ला सकता है आपके जीवन में खुशहाली